आज, रसायन विज्ञान विभाग, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा द्वारा ‘सोशियो-इकोनोमिक इम्प्रोवमेंट्स थ्रू कल्टीवेशन और मेडिसिनल एंड अरोमेटिक प्लांट्स‘ विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया।
वेबिनार का उद्घाटन किया
इस वेबिनार के अध्यक्ष रूप में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो0 नरेंद्र्र सिंह भंडारी (कुलपति, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा), मुख्य वक्ता के रूप में डी0एस0बी0परिसर, नैनीताल के सेवानिवृत्त आचार्य प्रो0 सी0 एस0 मथेल, आमंत्रित वक्ताओं के रूप में सीएसआईआर, हिमाचल प्रदेश, आईएचबीटी पालमपुर के वरि0 वैज्ञानिक डाॅ0 उपेंद्र शर्मा, गोबिन्द बल्लभ युनिवर्सिटी आॅफ एग्रीकल्चर एंड टैक्नोलाॅजी के रसायन विज्ञान विभाग के प्रो0 ओम प्रकाश, कुमाऊँ विश्वविद्यालय,नैनीताल के रसायन विज्ञान विभाग की डाॅ0 गीता तिवारी और वेबिनार का संयोजक और रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 एस0 के0 जोशी ने संयुक्त रूप से वेबिनार का उद्घाटन किया।
औषधीय और सुगंधित पौंधों को लेकर विद्व़ानों ने किया मंथन
उत्तराखंड में औषधीय और सुगंधित पौंधों को लेकर इस वेबिनार में विद्व़ानों ने मंथन किया।
उद्घाटन अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो0 नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य सुगंधित और औषधीय पौधों के साथ-साथ अपनी जैवविविधता के लिए जाना जाता है। यह सम्पूर्ण हिमालयी क्षेत्र औषधीय पौधों को लेकर समृद्ध क्षेत्र है। इस राज्य में औषधीय पौधों को लेकर अपार संभावनाएं हैं। उन औषधीय पौधों को वैज्ञानिकता की कसौटी पर जांच-परखकर चिकित्सकीय उपयोग के लिए प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौर में मेडिसिनल प्लांट्न का प्रयोग सम्पूर्ण विश्वभर में बढ़ा है। हमें इनकी महत्ता समझ में आई है। इस महामारी के दौर में औषधीय और सुगंधित पौधों की महत्ता बढ़ी है। हम औषधीय पौधों और सुगंधित पौधों को रोजगार से जोड़कर ग्राम क्षेत्रों, पर्वतीय अंचलों को आत्मनिर्भर बना सकते हैं। इसके लिए हमें ठोस रणनीति अपनानी पड़ेगी। रोजगार के लिए इन औषधीय और सुगंधित पौधों का उत्पादन कर जीविकोपार्जन कर सकते हैं। इनके उत्पादन से पर्वतीय और ग्राम क्षेत्रों की आर्थिकी को मजबूत बना सकते हैं।
उन्होंने रसायन विज्ञान विभाग को निर्देशित करते हुए कहा कि रसायन विज्ञान विभाग नेचुरल प्रोडक्ट कैमिस्ट्री और फाइटो कैमिस्ट्री के क्षेत्र में जाॅब ओरिएंटेड कोर्स का संचालन कर युवाओं को प्रोत्साहित कर सकता है।
उत्तराखंड राज्य आत्मनिर्भर बन सकता है
अतिथियों का स्वागत करते हुए वेबिनार के संयोजक और रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 सुशील कुमार जोशी ने वेबिनार के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती की असीम संभावनाएं इस हिमालयी क्षेत्र में हैं। इनका उत्पादन कर उत्तराखंड राज्य आत्मनिर्भर बन सकता है।
रूपरेखा प्रस्तुत की
इस अवसर पर आयोजक सचिव डाॅ0 देवेन्द्र धामी ने संचालन करते हुए वेबिनार के उद्देश्यों और वेबिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की।
मुख्य वक्ता के रूप में डी0 एस0बी0 परिसर नैनीताल के रसायन विभाग के सेवानिवृत्त प्रो0 सी0 एस0 मथेला ने उत्तराखंड में कोविड काल के बाद औषधीय और सुगंधित पौधों के संतुलित विकास और उसकी महत्ता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने सी बुकथोर्न का जिक्र करते हुए कहा कि इसका प्रयोग अर्थराइटिस, गेस्ट्रोइंटेस्निल, अल्सर, स्कीन रेशेस, कम कोलेस्ट्राॅल, बीपी को सुधारने और इम्युनिटी को बेहतर बनाने में प्रयोग किया जाता है। उन्होेंने कहा कि महामारी के दौर में रिवर्स माइग्रेशन हुआ है। ऐसे में हम इन औषधीय पौधों का संवर्धन करने के लिए युवाओं को इससे जोड़कर रोजगार सृजन कर सकते हैं।
हर्बल उत्पादों की स्थिति पर भी चर्चा की
आमंत्रित वक्ता के रूप में रसायन विज्ञान विभाग, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल की डाॅ0 गीता तिवारी ने औषधीय पौधों पर बायोएक्टिव कंपोनेंट्स के प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मृद्धा की भौतिक-रसायनिक तत्व, विकास क्रम और पोस्ट हार्वेस्टिंग तकनीक को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने बाजार में हर्बल उत्पादों की स्थिति पर भी चर्चा की और कहा कि औषधीय पौधों के प्रयोग से हम इस कोविड-19 महामारी के दौर में इम्युनिटी को बेहतर बना सकते हैं।
प्रो0 ओम प्रकाश ने औषधीय एवं सुगंधित पौधों के कैमिकल कम्पोजिशन और बायोलाॅजिकल प्रक्रिया पर बात रखी
आमंत्रित वक्ता के रूप में गोविन्द बल्लभ पंत ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलाॅजी पंतनगर के रसायन विभाग के प्रो0 ओम प्रकाश ने औषधीय एवं सुगंधित पौधों के कैमिकल कम्पोजिशन और बायोलाॅजिकल प्रक्रिया पर बात रखी। उन्होंने प्राकृतिक उत्पादों और उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र के औषधीय पौधों के संरक्षण एवं उनके संवर्धन की बात कही।
डाॅ0 उपेंद्र शर्मा ने फायटोफार्माक्यूटिकल विकास और छांटे गए औषधीय पौधांे के विकास पर बात रखी
वरिष्ठ वैज्ञानिक, सीएसआईआर, हिमाचल प्रदेश, आईएचबीटी पालमपुर के डाॅ0 उपेंद्र शर्मा ने फायटोफार्माक्यूटिकल विकास और छांटे गए औषधीय पौधांे के विकास पर बात रखी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश में उत्पादित किए जाने वाले औषधीय और सुगंधित पौधों के विकास आदि पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में इनकी खेती कर रोजगार के अवसर खुले हैं। लोगों को रोजगार मिल रहा है। उन्होंने नेचुरल प्रोडक्ट केमिस्ट्री के क्षेत्र में भविष्य की चुनौतियों पर भी बात रखी।
इस अवसर पर वेबिनार के उप सचिव श्री राजेश कुमार राठौर ने आभार जताया।
यह लोग रहे मौजूद
इस वेबिनार के आयोजन अवसर पर वेबिनार के सह-संयोजक प्रो0 जी0 सी0 साह, आयोजन सचिव डाॅ0 डी0 एस0 धामी, आयोजक उप-सचिव श्री राजेश कुमार, प्रो0 एन0 डी0 कांडपाल, प्रो0 रुबीना अमान, डाॅ0 प्रियंका सागर, डाॅ0 भुवन चंद्र, प्रो0 चित्रा पांडे, डाॅ0 एन0 एस0 बिष्ट, डाॅ0 मुकेश सामंत, डाॅ0 आर0 सी0 मौर्य, श्री आर0 एन0 पाठक, डाॅ0 ललित जोशी, डाॅ0 चारु चंद्र पंत, डाॅ0 नंदन सिंह कार्की, डाॅ0 गिरीश खर्कवाल, डाॅ0 रीमा प्रियदर्शी, डाॅ0 दीपक सागर, डाॅ0 हेमंत कुमार जोशी, डाॅ0 आर0 के0 जोशी, डाॅ0 आर0 सी0 पड़ेलिया, डाॅ0 पी0 पी0 त्रिपाठी, डाॅ0 मनीष त्रिपाठी, डाॅ0 राजेन्द्र जोशी, डाॅ0 महेश विश्वकर्मा, श्री अंशु टम्टा, श्री दीप प्रकाश, डाॅ0 हरीश शर्मा, श्री भुवनेश्वर विश्वकर्मा, सुश्री अंकिता नेगी, सुश्री मुन्नी बोरा, सुश्री भावना पंत, सुश्री मनीषा बिष्ट, सुश्री सोनल वर्मा, सुश्री सुनीता आर्या, सुश्री पूजा भट्ट सहित देशभर के सैकड़ों रसायनविज्ञानी, विद्वान, शिक्षक, छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।