अल्मोड़ा में खत्याड़ी स्थित ‘टेरा अटेलियर’ कार्यालय का उद्घाटन किया गया। जिसका मकसद आधुनिकता की होड़ में पहाड़ की गुम होती वास्तुकला को फिर नई पहचान दिलाने और अपने असली रूप से जीवंत रखना है। ‘टेरा अटेलियर’ का तात्पर्य भूमि से जुड़ी शिल्पशाला है।वास्तुकार होने से अब पहाड़ में कलात्मक भवन होने से पहाड़ की खूबसूरती निखरेगी और टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
मिट्टी, वृक्ष आदि सामग्री का इस्तेमाल करके पर्यावरण को रखती है स्वच्छ सुष्मिता-
यह कार्यालय आर्केटैक्ट (वास्तुकार) सुष्मिता बिष्ट व उनकी साथी कीर्ति जैन ने शुरू किया है। सुष्मिता बिष्ट ने एन.आई. टी. हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) से मास्टर्स इन सस्टेनेबल आर्केटैक्चर (M. Arch) की पढ़ाई की है। सुष्मिता शहर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता जमन सिंह बिष्ट की पुत्री हैं। सुष्मिता व कीर्ति बताती हैं कि आज विश्व में करीब 40 % प्रदूषण भवन निर्माण, बिल्डिंग इंडस्ट्री की वजह से है क्योंकि भवन निर्माण में कई प्रकार के कैमीकल, सीमेंट समेत कई प्रकार की प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले सामग्री का बहुत अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। पहाड़ में टूरिज्म इंडस्ट्री का विकास तो हो रहा नए भवन, होटल, गेस्ट हाउस, रिसार्ट बन रहे पर उनमें भी सीमेंट सहित प्रदूषण को बढ़ावा देने वाली सामग्री का भी इस्तेमाल हो रहा है व पहाड़ी शैली का अधिकार खत्म हो रहा है। पहाड़ प्रदूषित हो रहे हैं। शहरी व आधुनिक कला के मुताबिक काम व डिजाइन किया जा रहा है। आगे वे बताती हैं कि वे पहाड़ की भवन शैली को जीवंत रखकर पहाड़ को प्रदूषण मुक्त, खूबसूरत रखकर अनुशासित रूप से वास्तुशास्त्र के अनुसार कार्य करती हैं। मिट्टी, वृक्ष आदि सामग्री का इस्तेमाल करके पर्यावरण को स्वच्छ रखना अपने कार्य में पसंद करती हैं।
यह लोग रहे मौजूद-
इस उद्घाटन समारोह में नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, प्रोफेसर सत्यनारायण राव, शिखर होटल मालिक राजेश बिष्ट, पूर्व दर्जा राज्य मंत्री बिट्टू कर्नाटक, ‘पहरू’ प्रबंध संपादक महेन्द्र ठकुराठी, ललित तुलेरा, प्रताप सिंह कनवाल, हर्ष कनवाल, देवेन्द्र फर्त्याल, किशन बिष्ट, डॉ. अंजली पटनायक, चंद्रशेखर बनकोटी, त्रिलोक सिंह बिष्ट, कुंदन सिंह बिष्ट, त्रिभुवन बिष्ट, आनंद सत्याल, नवीन बिष्ट, मृणाल सेमिया, आशिमा खंडूजा आदि लोग मौजूद रहे।