अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय को नैनीताल से अन्यत्र मैदानी जनपदों में स्थानान्तरित किये जाने के चर्चित सवाल पर उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश मे पहाड़ों के उपेक्षित विकास से उत्पन्न असन्तोष के कारण ही उत्तराखण्ड की मांग उठी व राज्य बनाया गया।
कही यह बात
कहा कि राज्य का उच्च न्यायालय स्पष्ट रूप से नैनीताल में स्थापित किया गया, किन्तु जनमत गैरसैण के पक्ष में होने के बाद भी राजधानी का मामला अब भी उलझा है। सरकारों का पहाड़ो के प्रति उपेक्षा का भाव व अव्यवस्था के कारण ही समय समय पर राज्य के उच्च न्यायालय को स्थांतरित करने की मांग उठती रहती है। राज्य बनने के बाद भी प्रदेश की सरकारों का पहाड़ो के प्रति संन्तुलित विकास का भाव नहीं बदला है सरकारे केवल संसाधनों के दोहन तक सीमित है। वाहिनी का कहना है कि राज्य की राजधानी व उच्च न्यायालय गैरसैंण में स्थापित कर राज्य सरकार को इस विवाद का स्थाई समाधान निकाल लेना चाहिये।
आंदोलन पर कहीं यह बात
वाहिनी ने कहा है कि पर्वतीय क्षेत्रों की उपेक्षा के कारण पहाड़ो मे मानवीय सुविधाओ का अभाव हो गया है राज्य बनने के बाद यहाँ सन्तुलन बनने के बजाय तेजी से असन्तुलन पैदा हो गया है जिसे समय रहते सरकार दुरुस्त करें। असल उत्तराखंड विरोधी सोच रखने वाले नेताओं व अधिकारियों को अपनी सोच बदलनी होगी। अन्यथा वहिनी उत्तराखंड वासियों के साथ पुनः आंदोलन के लिए लाम बंद होगी।
रहें मौजूद
वाहिनी की बैठक की अध्यक्षता एड.जगत रौतेला ने व संचालन पूरन चन्द्र तिवारी ने किया। बैठक में अजयमित्र बिष्ट, जंगबहादुर थापा , दयाकृष्ण काण्डपाल, बिशन दत्त जोशी ,अजय मेहता , हारिस मुहम्मद , रेवती बिष्ट, कलावती तिवारी आदि मौजूद रहे।