अल्मोड़ा: विमल कोर्ट शक्तिपीठ मंदिर में नहीं पड़ रही पर्यटन विभाग की नजर, मंदिर सौंदर्यीकरण से पर्यटन में होगी रोजगार की अपार संभावनाएं

पर्यटन की अपार संभावना से भरपूर अल्मोड़ा जिले के कई धार्मिक और पर्यटन स्थलों की ऐतिहासिक यादें भी जुड़ी हैं। उत्तराखंड को देवभूमि यूं ही नहीं कहा जाता ,यहां की ऊंची चोटियों में चारों ओर मां भगवती के मंदिर स्थापित हैं तो नदियों के तत्व संगम पर भगवान शिव के मंदिरों की लंबी श्रृंखला हैं। यही नहीं लोक ईष्ट देवता भी यहां हर गांव में वास करते हैं ।

जंगल में पेड़ो से घिरा जंगल मंदिर आने वाले पर्यावरण प्रेमियों को करते हैं आकर्षित

ऐसा ही एक ऐतिहासिक मंदिर जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर धौलछीना कस्बे के पास संकुला आकार पहाड़ी के मध्य बशा अटूट आस्था का केंद्र है भगवती विमल कोट शक्तिपीठ मंदिर। जहां से हिमालय का विहंगम दृश्य मानो सामने खड़ा है। आसपास जंगल में बाज़, बुरास, देवदार, काफल,सूरई,  आदि सदाबहार प्रजातियों के पेड़ों से घिरा जंगल मंदिर आने वाले पर्यावरण प्रेमियों को आकर्षित करते हैं। वहीं एक ओर हिमालय की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य लोगों को अपने और आकर्षित करता है  8 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर से नंदा देवी, त्रिशूल पर्वत, चौखंबा ,पंचाचुली, नीलकंठ ,नंदा धूरी ,नंदा खाट, धौलगिरी, पिंडारी ग्लेशियर ,चौकोड़ी, कसारदेवी, नैनापीक, वृद्ध जागेश्वर, बिनसर, देवीधुरा ,  जैसे आध्यात्मिक स्थलों के मंदिर से चारों तरफ दर्शन होते हैं। यहां तक जाने के लिए तीन किमी कच्ची सड़क वन विभाग के अधीन है। इस मार्ग में डामरीकरण न हो पाने के कारण यात्रा मार्ग की स्थिति बेहतर नहीं है ।यातायात सुविधा के अभाव में क्षेत्र का धार्मिक व रमाणिक स्थल पर्यटन के रूप में विकास नहीं हो पा रहे है। इसी मंदिर के पास में विख्यात आनंदमई आश्रम भी है। जहां पर साल भर देसी विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं।

1515 ईस्वी पूर्व का है शक्तिपीठ

इस इस शक्तिपीठ को 1515 ईसवी पूर्व का बताया जाता है। मंदिर के सामने वाली पहाड़ी पटियार कोर्ट पर चंद्रवंशी राजाओं के किले के खंडहर जो इस बात के गवाह हैं। पटियार नाम के शासकों के जन अदालत से नाखुश  लोग इस शक्तिपीठ पर न्याय के लिए दरख्वास्त लगाते थे। तब से इस पहाड़ी का नाम विमल कोर्ट (विमला देवी की अदालत) पड़ गया। मंदिर के सामने की पहाड़ी पटिहार कोर्ट मैं अभी भी खंडहर के अवशेष मौजूद हैं। तब से भी इस मंदिर मे लोग न्याय के लिए मन्नत मांगते हैं।सर साल के पहले दिन विमल कोर्ट में विशाल मेला भी लगता है। हजारों की संख्या में लोग साल की शुरुआत सुगम व शुभ के लिए शीश नवाने आते हैं।

विमल कोर्ट मंदिर के पर्यटन सर्किट में जुड़ने से जिले में धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

विमल कोर्ट मंदिर के पर्यटन सर्किट में जुड़ने से जिले में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। यह धाम प्रदेश और देश के पर्यटन मानचित्र में भी दिखेगा अगर इस स्थल का विकास होगा तो श्रद्धालु पर्यटक मंदिर का रुख करेंगे ।धार्मिक स्थलों के पर्यटन सर्किट से जुड़ने से स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के नए आयाम मिल सकेंगे। साथ ही क्षेत्र  को देश-विदेश में पहचान मिलेगी। क्षेत्र का दुर्भाग्य विहंगम प्रकृति सौंदर्य से संपन्न क्षेत्र की ओर पर्यटन विभाग का ध्यान नहीं है ।यदि इस ओर पर्यटन विभाग पहल करे तो यह क्षेत्र बेरोजगार युवाओं के लिए बेहतर आय का जरिया बन सकता है।