अल्मोड़ा से जुड़ी खबर सामने आई है। अल्मोड़ा के धौलछीना के निवासी व कुमाऊंनी लोकगीतों के प्रसिद्ध गायक गोविंद सिंह रावल का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है। गोविंद रावल ने मंगलवार को अपने निवास स्थान ग्राम खाखरी में अंतिम सांस ली। गोविंद रावल के निधन से पूरे क्षेत्र में तथा उनके प्रशंसकों में शोक की लहर है।
लोकगायक का निधन
गोविंद सिंह रावल पिछले कई दिनों से फेफड़ों के संबंध गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। लोक गायक गोविंद सिंह पिछले कई दिनों से सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी तथा उसके बाद बेस चिकित्सालय अल्मोड़ा में उनका इलाज चल रहा था। एक सप्ताह पूर्व 20 चिकित्सालय अल्मोड़ा के चिकित्सकों ने उन्हें घर जाने की सलाह दी। वहीं आज मंगलवार सुबह अचानक उनकी तबीयत फिर से खराब होते देख परिजन उन्हें अस्पताल ले जाने की तैयारी कर ही रहे थे तभी बुजुर्ग लोक गायक ने प्राण त्याग दिए।
गाए कई प्रसिद्ध गीत
कुमाऊनी गीतों के वरिष्ठ लोक गायक गोविंद सिंह रावल का जन्म 28 अगस्त 1963 को भैंसियाछाना विकासखंड के ग्राम खाखरी, कनारीछीना में हुआ था। 18 वर्ष की उम्र में कुमाऊं के प्रसिद्ध लोक गायक प्रताप सिंह रीठागाड़ी से प्रभावित होकर वह संगीत जगत में आए। गोविंद सिंह रावल ने आकाशवाणी अल्मोड़ा नजीबाबाद तथा लखनऊ केंद्रो से कुमाऊं गीतों की प्रस्तुति दी है। गोविंद रावल को बचपन से ही कुमाऊनी गाने गाने का शौक था इसके साथ ही उन्हें हुड़का, हारमोनियम, तबला, ढोल, मुरली इत्यादि वाद्य यंत्र बजाने का भी शौक था। उनके द्वारा हिमाल कैसेट तथा टी-सीरीज कैसेट के लिए दर्जनों कुमाऊनी गीत गाए हैं। लोक गायक गोविंद सिंह रावल 7 वर्ष की उम्र से ही कुमाऊनी लोकगीतों छोड़ा, चाचरी, छपेली, भगनौल, गाकर लोगों का मनोरंजन करते थे। वृद्धावस्था में गोविंद सिंह रावल जागर लगाकर जीविकोपार्जन करते थे। धनाभाव के कारण उचित इलाज नहीं मिलने से 61 वर्ष की आयु में लोक गायक गोविंद सिंह रावल यह दुनिया छोड़कर चले गए। उनके निधन से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ पड़ी। मंगलवार को देर शाम शेराघाट स्थित श्मशान घाट में गोविंद सिंह रावल को मुखाग्नी दी जाएगी।
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