बागेश्वर: अदालत का फैसला, गबन, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने के मामले में सुनाई 3-3 साल के कारावास की सजा

बागेश्वर से जुड़ी खबर सामने आई है। बागेश्वर में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट गुंजन सिंह की अदालत ने गबन, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र रचने के मामले में सुनवाई की है। जिसमे अदालत ने तीन आरोपियों को तीन-तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अर्थदंड से भी दंडित किया है। अर्थदंड जमा नहीं करने पर छह-छह महीने का अतिरिक्त कारावास भोगना पड़ेगा।

जानें क्या है मामला

जानकारी के अनुसार 17 जनवरी 2019 को वादी बसंत गिरि ने कोतवाली में पीयूष अवस्थी निवासी रायबरेली उत्तर प्रदेश के खिलाफ तहरीर दी। जिसमें बताया कि आरोपी पीयूष ने मई 2016 में जिले में पृथ्वी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी की शाखा खोली थी। सोसायटी में वादी और एक अन्य को कलेक्शन एक्जीक्यूटिव के पद पर नियुक्ति दी थी। जिसमे लोगों के दैनिक, मासिक जमा खाते, एफडी आदि खुलवाकर सोसायटी का कार्य विस्तार किया। एक साल बाद वादी को शाखा प्रबंधक बना दिया गया। इस दौरान ग्राहकों की ओर से खातों में जमा कराई जाने वाली राशि को लखनऊ में कंपनी के खाते में भेजा जाता था। जब कंपनी के कई खाताधारकों के खाते की जमावधि पूरी हुई तो वह रुपये निकलवाने आने लगे लेकिन कंपनी ने रुपये नहीं लौटाए।
कंपनी का एमडी पीयूष का पता भी नहीं चला। कुछ दिनों बाद कंपनी में नया बोर्ड बनने के बाद भी खाताधारकों की जमा राशि नहीं लौटाई गई। जिसके बाद पुलिस ने तहरीर के आधार पर आरोपी पीयूष के खिलाफ धारा 406,, 420 आईपीसी में केस दर्ज किया। आरोपी की पत्नी हिमांगी अवस्थी और वादी बसंत गिरि के खिलाफ भी धारा 406, 409, 420, 120 बी आईपीसी के तहत केस दर्ज किया गया। 10 दिसंबर 2019 को तीनों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किए गए।

अदालत का आदेश

इस मामले में 15,88,070 रुपये का गबन का मामला आया। जबकि खाताधारकों से 21,97,650 रुपये की वसूली की गई थी। बसंत गिरि का कहना था कि यह राशि खाताधारकों को वापस की गई है लेकिन वह इसका कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका। न्यायालय ने आरोपी पीयूष और हिमांगी को धारा 406 के तहत दोषसिद्ध किया। साथ ही तीन-तीन साल की सजा सुनाई। एक-एक लाख रुपये जबकि बसंत गिरि को धारा 409 के तहत तीन साल की सजा और पचास हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।