देश भर में लोगों में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद अब फंगस का भी भय बना हुआ है। जिसमें ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, येलो फंगस और एस्परगिलोसिस फंगस का संक्रमण फैल रहा है। कोरोना संक्रमण को मात देकर लौट रहे लोगों में अब फंगस का खतरा बढ़ने लगा है। जिसमें फंगस के वायरस पर बड़ा खुलासा हुआ है।
फंगस जीवित रहने के लिए बदलता है अपना रंग-
फंगस खुद को जीवित रखने और प्रसार के लिए रंग बदलता है। फंगस की गंभीरता उसके रंग से तय नहीं होती है। फंगस के कई प्रकार अलग-अलग तरह के रंग पैदा करते हैं जैसे की गुलाबी, लाल, नारंगी, पीला, हरा और ग्रे समेत अन्य रंग का दिख सकता है। ये रंग सूरज की तेज रोशनी से हल्का भी पड़ सकता है और बारिश से धुल भी सकता है। इसको जीवित रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व न मिलें तो इसका माइसीलियम (प्रजनन संरचना) वाला भाग जीवित रहने और प्रसार के लिए अपने भीतर कुछ बदलाव कर लेता है।
जाने कैसे बदलता है अपना रंग-
फंगस के भीतर कैरेटीनॉयड्स नामक तत्व होते हैं। ये उसके रंग के लिए जिम्मेदार होता है। कैरेटीनॉयड्स तीन तरह के होते हैं। पहला बीटा कैरोटीन (नारंगी), गामा कैरोटीन (नारंगी-लाल), अल्फा कैरोटीन (नारंगी-पीला) होता है। ये रंग फंगस को तेज धूप के साथ अन्य विपरीत परिस्थितियों में सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है। वही शरीर में पहले से कई तरह की दवाओं के प्रभाव से बचने के लिए भी फंगस अपना रंग बदलता है।