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लोकसभा ने मंगलवार को संविधान 127वां संशोधन विधेयक, 2021 उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से पारित कर दिया है। संविधान संशोधन विधेयक होने के कारण इस पर मत विभाजन कराना अनिवार्य था।
इस विधेयक में अन्य पिछड़ा वर्ग की अपनी सूची बनाने के लिए राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों की शक्ति बहाल करने का प्रावधान है।
राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग की अपनी सूची तैयार करने का अधिकार मिलेगा
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉक्टर विरेन्द्र कुमार ने विधेयक प्रस्तुत करते हुए कहा कि इससे राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग की अपनी सूची तैयार करने का अधिकार मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से देश की संघीय संरचना मजबूत करने में भी मदद मिलेगी। डॉक्टर कुमार ने अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।
अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के हित में विपक्ष विधेयक का समर्थन करता है
विधेयक पर चर्चा शुरू करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के हित में विपक्ष विधेयक का समर्थन करता है।
भारतीय जनता पार्टी की संघमित्र ने अन्य पिछड़ा वर्ग को सर्वोच्च प्रतिनिधित्व देने के लिए मंत्रिमंडल की सराहना की। डीएमके नेता टी आर बालू ने आरक्षण की अधिकतम सीमा को हटाने का मुद्दा उठाया। उन्होंने यह विधेयक लाने के लिए सरकार को धन्यवाद भी दिया।
ज्यादातर नौकरियां अनुबंध पर या निजी क्षेत्र में है आरक्षण कहां लागू होगा
बहुजन समाज पार्टी के रितेश पांडेय ने विधेयक का समर्थन किया, लेकिन उन्होंने सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ज्यादातर नौकरियां अनुबंध पर या निजी क्षेत्र में है, इसलिए यह आश्चर्य की बात है कि आरक्षण कहां लागू होगा।
आरक्षण की अधिकतम सीमा हटाने का आग्रह
एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले ने 2011 की जाति जनगणना के अनुभव और अनुसंधान पर आधारित आंकड़े उपलब्ध कराने के लिए सरकार का आभार प्रकट किया। उन्होंने सरकार से यह आग्रह भी किया कि आरक्षण की अधिकतम सीमा हटाने पर विचार किया जाए।
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