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आज 6 दिसम्बर है। आज पूरे भारत में हर साल डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर की पुण्यतिथि के दिन महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर एक अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे।
समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार देने के पक्षधर रहे अम्बेडकर-
डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर को ‘भारतीय संविधान का पिता’ माना जाता है। उन्हें दलितों, महिलाओं और श्रमिकों के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के खिलाफ उनके अभियानों के लिए जाना जाता है। डॉ. अंबेडकर ने अपने संघर्षों एवं अपनी शिक्षा से सामाजिक मूल्यों को विकसित किया। वे जीवनभर अपने मूल्यों से कभी विचलित नहीं हुए। उनका व्यक्तित्व विराट था। भारतीय संविधान के निर्माण में उनका चिंतन, अध्ययन एवं विद्वता की स्पष्ट छाप झलकती है। डॉ. अबेंडकर अध्ययन बहुआयामी एवं विशाल था। उन्होंने भारतीय संविधान के जरिए एक आत्मनिर्भर एवं आधुनिक भारत की नींव रखी। उन्होंने आर्थिक रूप से संपन्न एवं शिक्षित भारत का सपना देखा था। वह समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार देने के पक्षधर रहे।
विदेश में अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट करने वाले पहले भारतीय थे अम्बेडकर-
डॉ भीमराव अम्बेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के महू में 14 अप्रैल सन् 1891 को हुआ था। वे अपने माता-पिता की 14वीं और आखिरी संतान थे। उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल सूबेदार मेजर थे। उनकी माता का नाम भीमाबाई मुरबाडकर सकपाल था। बीआर अंबेडकर का मूल नाम अंबावडेकर था। उनके शिक्षक जो उनसे प्यार करते थे, उन्होंने इसे अपने उपनाम ‘अम्बेडकर’ में बदल दिया। जब वे 15 साल के थे तब उन्होंने नौ साल की रमाबाई से शादी कर ली। अम्बेडकर मैट्रिक पास करने वाले पहले दलित थे। वह विदेश में अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट करने वाले पहले भारतीय थे। बाबासाहेब दो साल तक वह मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में प्रिंसिपल के पद पर रहे। भारतीय संविधान के वास्तुकार के रूप में लोकप्रिय, अम्बेडकर अल्पसंख्यकों के कल्याण को ध्यान में न रखने पर संविधान को जलाना चाहते थे। बाबासाहेब आंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को उनके दिल्ली स्थित आवास पर हुआ था।
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