उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज निजी क्षेत्र सहित सभी हितधारकों से आगे आने तथा वयस्क शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण के क्षेत्र में सरकार के काम में सहायता करने का आग्रह किया। प्रत्येक वयस्क को साक्षर बनाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, उन्होंने आम लोगों के बीच डिजिटल साक्षरता और वित्तीय साक्षरता पर फोकस करने की आवश्यकता भी रेखांकित की।
साक्षरता अभियान को एक जन आंदोलन बन जाना चाहिए
आज नई दिल्ली में प्रतिष्ठित नेहरू और टैगोर साक्षरता पुरस्कार प्रदान करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह निराशाजनक है कि आईटी और डिजिटलीकरण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बहुत प्रगति करने के बावजूद, भारत में अभी भी दुनिया के सबसे अधिक निरक्षर व्यक्ति हैं। इस चुनौती से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान करते हुए उन्होंने इच्छा जताई कि साक्षरता अभियान को एक जन आंदोलन बन जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांवों और कॉलोनियों में प्रत्येक शिक्षित युवा को आगे आना चाहिए और अपने क्षेत्रों या समुदायों के कम से कम एक व्यक्ति को यह सिखाना चाहिए कि कैसे लिखना है और डिजिटल उपकरणों को कैसे प्रचालित करना है तथा सरकारी योजनाओं का लाभ किस प्रकार उठाना है।उन्होंने इसे उनका पीएसआर – व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्व करार दिया। उन्होंने कहा कि ‘प्रत्येक व्यक्ति एक व्यक्ति को सिखाए’केवल एक नारा भर नहीं रह जाना चाहिए, बल्कि यह युवाओं के लिए एक प्रेरक शक्ति बन जानी चाहिए।
मिशन मोड में निरक्षरता उन्मूलन का आह्वान
उपराष्ट्रपति ने मिशन मोड में निरक्षरता उन्मूलन का आह्वान करते हुए, स्कूलों को अपने छात्रों को सप्ताहांत पर अपने क्षेत्रों में वयस्क शिक्षा अभियान शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि छात्रों को ऐसे कार्यकलापों के लिए कुछ अतिरिक्त अंक दिए जाने चाहिए।
भारत को पूर्ण रूप से साक्षर और शिक्षित राष्ट्र बनाने का संकल्प का आह्नान
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने वयस्क शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए सभी पुरस्कार विजेताओं की प्रशंसा करते हुए, सभी से भारत को पूर्ण रूप से साक्षर और शिक्षित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने को कहा। उन्होंने कहाकि साक्षरता और शिक्षा लोगों को स्वाधीन बनाती है। वे परिवर्तन और प्रगति के मूलभूत साधनों के रूप में काम करती हैं। निरक्षरता के अलावा, उन्होंने गरीबी, शहरी-ग्रामीण विभाजन, सामाजिक भेदभाव और लैंगिक भेदभाव जैसी विभिन्न अन्य चुनौतियों पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
साक्षरता कौशल शिक्षा की पूर्व शर्त
यह देखते हुए कि साक्षरता की उच्च दर सीधे तौर पर किसी देश की आर्थिक प्रगति और उसके नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता से संबंधित है, उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि भारत जैसे विकासशील देश में साक्षरता और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विभिन्न विकास कार्यक्रमों के बेहतर कार्यान्वयन और परिणाम में मदद करती है। उपराष्ट्रपति ने साक्षरता को कौशल शिक्षा की पूर्व शर्त करार देते हुए कहा कि यह न केवल व्यक्ति में आत्मविश्वास का संचार करती है बल्कि उसके सामाजिक जीवन को अधिक सक्रिय और मर्यादित बनाने में भी मदद करती है।
लड़कियों में प्राथमिक स्तर पर लड़कों की तुलना में स्कूल में उच्च नामांकन दर
भारत के प्रारंभिक स्तर पर लगभग सार्वभौमिक सकल नामांकन अनुपात अर्जित करने पर सभी हितधारकों की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने इस तथ्य पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारतीय लड़कियों में प्राथमिक स्तर पर लड़कों की तुलना में स्कूल में उच्च नामांकन दर है। उन्होंने कहा कि हमें सार्वभौमिक कार्यात्मक साक्षरता से कौशल शिक्षा और आजीवन सीखने की ओर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
नई शिक्षा नीति-2020 की प्रशंसा
एम. वेंकैया नायडू ने प्रौढ़ शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर उचित जोर देने के लिए नई शिक्षा नीति-2020 की प्रशंसा करते हुए, कहा कि यह दृष्टिकोण सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के आजीवन अवसरों का लाभ उठाने के माध्यम से वृद्धि और विकास के नए मार्ग खोलता है। उन्होंने कहा कि यह क्राउड फंडिंग तथा ऑनलाइन और ऐप-आधारित प्रौद्योगिकी, उपग्रह आधारित टेलीविजन चैनलों, ऑनलाइन अध्ययन संसाधनों तथा पुस्तकालयों के विकास और वयस्क शिक्षा केंद्रों के प्रचार सहित कई तरीकों की अनुशंसा करती है।
नेहरू और टैगोर साक्षरता पुरस्कार प्राप्त करने वालों को बधाई देते हुए उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि वे शिक्षित और सशक्त भारत – ‘शिक्षित और समर्थ भारत’ के विज़न को साकार करने के लिए अपने काम को जारी रखेंगे।