छोटी -छोटी बातों के लिए क्या आप भी लेते हैं झूठ का सहारा,जानें ये चौकानें वाला खुलासा

अकसर हम अच्छे बनने के लिए या अपने को बचाने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं। हम कईं बार झूठ के सहारे बच भी जाते हैं और उस पल के लिए खुशी का अनुभव भी करते हैं।लेकिन जब हम बार बार एक छोटी सी बात के लिए भी झूठ का सहारा लेने लगते हैं इसका हमें खुद ही खामियाजा उठाना पड़ता है। जी हां एक शोध के अनुसार जो व्यक्ति अधिक झूठ बोलता है उसे कोई ना कोई रोग लगे रहते हैं जैसे गला खराब होने या सिरदर्द जैसी शारीरिक समस्याएं,चलिए जानते हैं कितना झूठ बोलना है नुकसानदायक।

आप कितना बोलते हैं झूठ?

एक रिपोर्ट के अनुसार लोग ‌एक दिन में एक या दो बार झूठ बोलते हैं जबकि हफ्ते भर में 10 से 11 बार झूठ बोलते हैं।शोधकर्ताओं के अनुसार, औसतन तीन बार झूठ बोलने पर चार तरह की मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और तीन तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।शोध में यह भी पाया गया कि जो लोग कम झूठ बोलते हैं या नहीं बोलते हैं, वे अपेक्षाकृत अधिक स्वस्थ रहते हैं और ज्यादा जीते हैं।जबकि जो लोग झूठ अधिक बोलते हैं उन्हें गला खराब होने या सिरदर्द जैसी शारीरिक समस्याएं, अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

खोता जाता है विश्वास

झूठ, डूबते को तिनके की तरह सहारा तो दे सकता है लेकिन तिनके के बराबर ही ये चलता भी है।झूठ से भले ही हमें खुशियां जल्दी मिल जाएं लेकिन वह ज्यादा लंबे समय तक टिकती नहीं। क्योंकि जब किसी को दोस्त या अपनों से धोखा मिलता है तो इसके बाद वह आप पर चाह कर भी विश्वास नहीं करता।और इसके बाद आप भले ही लोगों से सच भी बोल रहे हों तो लोग आपको झूठा ही समझेंगे।इस प्रकार झूठ बोलने की आदत न केवल नैतिक तौर पर आपका पतन करती है बल्कि मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए भी नुकसानदायक हो सकती है।

आपका व्यक्तित्व होता जाता है खराब

यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में रिसर्चरों ने देखा कि पहला बड़ा झूठ बोलते वक्त ब्रेन के एक हिस्से ऐमिग्डाल में नकारात्मक सिग्नल यानी परेशानी के संकेत दिखते हैं ।रिसर्चरों ने देखा कि ऐमिग्डाल में जो निगेटिव रिएक्शन पहले झूठ के समय दिखाई देते हैं, वो तब नहीं दिखते जब आप झूठ बोलने के आदी हो जाते हैं। तब मस्तिष्क में तनाव नहीं होता। इसका मतलब वैज्ञानिकों ने साफ बताया कि आप जितना झूठ बोलते हैं, आप उतने आदी होते जाते हैं। यानी झूठ बोलना केमिकल और साइकोलॉजिकल तौर पर आपके अंदर ऐसी टेंडेंसी पैदा करता है, जिससे आपका व्यक्तित्व खराब होता चला जाता है।

छोड़िए, आदत को और बनें ईमानदार

अक्सर हम झूठ बोलने से पहले ये सोचते हैं कि झूठ बोलने से अगर काम बनता है तो झूठ बोलना अच्छा है और कुछ लोग तो श्री कृष्ण का उदहारण भी देते हैं कि गीता में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि जो झूठ किसी की भलाई के लिये बोला जाये वह झूठ, झूठ नहीं है।लेकिन झूठ का इस्तेमाल करते समय अधिकतर लोग खुद की ही भलाई देखते हैं।एक झूठ को बनाए रखने के लिए हमें बहुत से झूठ बोलने पड़ते हैं काफी मेहनत करनी पड़ती है लेकिन सत्य तो अपने आप में सत्य है उसकी जगह कोई नहीं ले सकता। हां अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए आप झूठ का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन झूठ का अर्थ यह नहीं कि आप अपना सारा जीवन उसी के नाम कर दो।किसी- किसी की आदतों में बहुत अधिक झूठ शामिल हो जाता है ऐसे लोग खुद को स्मार्ट तो खूब समझते हैं लेकिन सामने वाला भी आपके व्यक्तित्व को समझ चुका होता है वो बस आपकी हां में हां मिलाता है ताकि आपको बुरा ना लगे। तो कोशिश करिए खुद को स्वस्थ्य रखने की,झूठ को थोड़ा कम प्रयोग करने की, सच बोलकर कार्य करने में आपको बेहतर अनुभव होगा।