ग्‍लास्‍गो जलवायु वार्ता पृथ्‍वी का तापमान डेढ डिग्री तक सीमित रखने पर सहमति के साथ हुआ सम्पन्न

स्कॉटलैंड में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन पृथ्वी के तापमान को एक दशमलव पांच डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने और दुनिया को जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभाव से बचाने की वैश्विक सहमति और संकल्प के साथ सम्पन्न हो गया। सम्मेलन में सदस्यों देशों ने वैश्विक तापमान का लक्ष्य हासिल करने के समझौते पर सहमति व्यक्त की थी लेकिन अंतिम समय में कोयले और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को लेकर कुछ असहमति रही। सम्मेलन के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने संकेत दिया कि ग्लास्गो सम्मेलन में उपस्थित लगभग 200 राष्ट्रीय प्रतिनिधि मंडलों ने कोई निर्णायक आपत्ति व्यक्त नहीं की। इस सम्मेलन में कोयला और गैस से सम्पन्न शक्तिशाली देशों से लेकर समुद्री सतह की बढ़ोत्तरी से प्रभावित होने वाले तेल उत्पादक और प्रशांत क्षेत्र के द्वीपीय देश भी शामिल थे।

पृथ्वी बहुत ही संवेदनशील स्थिति में है

संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंतोनियो गुतेरस ने एक बयान में कहा कि पृथ्वी बहुत ही संवेदनशील स्थिति में है। ग्लास्गो जलवायु समझौता ऐसा पहला समझौता है जिसमें ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार कोयले के उपयोग को कम करने की स्पष्ट योजना दी गई है।
ग्लास्गो में दो हफ्ते से अधिक चली जलवायु वार्ता के बाद अनेक देशों ने कहा कि यह कुछ नहीं होने से बेहतर है। यह किसी सफलता का आश्वासन नहीं देता लेकिन इसके बावजूद कुछ प्रगति की आशा बंधाता है।

विशेष  रूप से होगी चर्चा

मिस्र की पर्यावरण मंत्री यास्मीन फौद अब्देल अजीज ने कहा कि शरम-अल-शेख के लाल सागर रिजॉर्ट में अगले साल होने वाली वार्ता में गरीब देशों को सहायता और मुआवजा दिये जाने पर विशेष रूप से चर्चा होगी।