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सरकार ने गर्भपात से संबंधित नए नियम जारी किए हैं। सरकार द्वारा मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट में संशोधन किया गया है। इसके तहत कुछ स्पेशल कैटेगरी की महिलाओं को मेडिकल एबॉर्शन के लिए गर्भ की समय सीमा को पांच महीने से बढ़ाकर छह महीने कर दिया गया है।
इन महिलाओं को मिलेगी छूट
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) एक्ट, 2021 के तहत स्पेशल कैटेगरी की महिलाओं में यौन उत्पीड़न, दुष्कर्म पीड़ता, नाबालिग, ऐसी महिलाएं जिनका प्रेग्नेंसी के दौरान तलाक हो गया हो या विधवा हो गई हों और दिव्यांग महिलाएं शामिल हैं। नये नियम में मानसिक रूप से बीमार महिलाएं, भ्रूण में कोई बीमारी हो जिसके कारण महिला या बच्चे की जान को खतरा हो या फिर जन्म लेने के बाद उसमें ऐसी मानसिक या शारीरिक बीमारी होने की आशंका हो जिससे वह गंभीर विकलांगता का शिकार हो सकता है, सरकार द्वारा घोषित मानवीय संकट ग्रस्त क्षेत्र या आपदा या आपात स्थिति में गर्भवती महिलाओं को भी शामिल किया गया है। नए नियमों के मुताबिक विशेष परिस्थितियों में 24 सप्ताह (छह महीने) के बाद एबॉर्शन के संबंध में फैसला लेने के लिए राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाएगा।मेडिकल बोर्ड का काम होगा कि अगर कोई महिला उसके पास गर्भपात के लिए अपील करती है तो उसकी और उसके रिपोर्ट की जांच करना और एप्लिकेशन मिलने के तीन दिनों के भीतर गर्भपात की परमीशन देने या नहीं देने के संबंध में फैसला सुनाना है। बोर्ड का काम यह ध्यान रखना भी होगा कि अगर वह एबॉर्शन कराने की परमीशन देता है तो एप्लिकेशन मिलने के पांच दिनों के भीतर पूरी प्रक्रिया सुरक्षित तरीके से की जाए और महिला की उचित काउंसिलिंग की जाए।
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