क्या आपने भी सुना “रानीखेत वायरस” का नाम, अंग्रेजों ने ब्रिटेन में फैली बीमारी को दिया यह भारतीय नाम

देश दुनिया की खबरों से हम आपको रूबरू कराते रहते हैं। एक ऐसी खबर हम आपके सामने लाए हैं। इन दिनों एक नाम काफी सामने आ रहा है। जिसका नाम है रानीखेत वायरस।

इस नाम से खराब होती है रानीखेत जैसे टूरिस्ट स्पॉट की छवि 

उत्तराखंड राज्य के अल्मोड़ा जिले में एक बेहद सुंदर पर्यटक स्थल है रानीखेत। लेकिन रानीखेत पर एक बीमारी का नाम भी है। जिसके बाद अब यह मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट पंहुच गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक जनहिन याचिका में मांग की गई है कि ‘रानीखेत बीमारी’ का नाम बदलकर कुछ और किया जाए। मामले पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो इस बीमारी का कोई दूसरे नाम सुझाए। सरकार को 27 जून तक जवाबी हलफनामा देने का समय मिला है।

काफी घातक और संक्रामक बीमारी है यह वायरस

रानीखेत पक्षियों की एक काफी घातक और संक्रामक बीमारी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक रानीखेत रोग का मूल नाम न्यूकैसल रोग है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसका पहला मामला 1926 में जावा (इंडोनेशिया) और 1927 में न्यूकैसल अपॉन टाइन (इंग्लैंड) शहर में दर्ज हुआ था। इस वायरस का नाम NDV (Newcastle Disease Virus) और बीमारी को ‘न्यूकैसल’ नाम दिया। अंग्रेजों के जरिए ही न्यूकैसल बीमारी भारत पहुंची थी। वर्ष 1938 में ग्रेट ब्रिटेन के न्यू कैसल सिटी में एक महामारी ने मुर्गियों को चपेट में ले लिया था। तब ब्रिटिश विशेषज्ञों ने इसे पैरामाइक्सो विषाणु को न्यूकैसल वायरस नाम दिया। सालभर बाद यही विषाणु अंग्रेजों के माध्यम से भारत पहुंच गया। 1939 में यह रानीखेत में फैला तो ब्रितानी विज्ञानियों ने अपने देश के वायरस को कुटिलता से भारतीय नाम ‘रानीखेत वायरस” नाम दे दिया। तब से आजतक इसका नाम बदला नहीं गया, जबकि मूल रूप से इसकी उत्पत्ति ब्रिटेन में हुई थी।

रानीखेत रोग का कारण क्या है?

रानीखेत एक विषाणुजनित बीमारी है। इस बीमारी को न्यू कैसल रोग या डॉयल रोग भी कहा जाता है। यह रोग एवियन पारामिक्सोवाइरस टाइप – 1 नामक वीषाणु से होता है। लक्षण :- 1. बड़ी संख्या पक्षियों की आकसमिक मृत्यु। 2. साँस फूलना और कमजोरी। रानीखेत रोग मुर्गियों में होता है। यह पोल्ट्री में होने वाली आम बीमारियों में से एक है और अत्यधिक घातक है। इस बीमारी को न्यू कैसल रोग के नाम से भी जाना जाता है। यह रोग मुर्गियों के श्वसन तंत्र और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। मुर्गियों को होनेवाला एक भयंकर संक्रामक रोग रानीखेत है। रानीखेत वायरस के संक्रमण से होता है। यह बड़े पैमाने पर शीघ्रता से फैलनेवाला जानलेवा रोग है। इस रोग से ग्रसित होने पर मुर्गियाँ आहार लेना कम कर देती है।

रानीखेत बीमारी की खोज कब हुई?

एक रिपोर्ट्स के मुताबिक सबसे पहले यह बीमारी इंडोनेशिया के जावा द्वीप में 1926 में शुरु हुई। जल्दी ही यह इंगलैंड के न्यू कासिल अपॉन टाइन शहर, रानीखेत और कोलम्बो में भी फैल गई। इसीलिए इसे इंगलैंड में न्यूकासल बीमारी के रूप में और भारत में रानीखेत बीमारी के रूप में भी जाना जाता है।

इन हिस्सों में की गई रिपोर्ट

रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी सरकार की NCBI वेबसाइट के मुताबिक, यह महामारी इंग्लैंड के बाद कोरिया, भारत, श्रीलंका, जापान और फिलीपींस सहित दुनिया के बाकी हिस्सों में भी रिपोर्ट की गई।

रानीखेत क्या है?

रानीखेत (कुमाऊँनी: रानीखेत) भारत के उत्तराखंड राज्य में अल्मोडा जिले के अल्मोडा कस्बे के पास एक हिल स्टेशन और छावनी शहर है। यह सैन्य अस्पताल, कुमाऊं रेजिमेंट (केआरसी) और नागा रेजिमेंट का घर है और इसका रखरखाव भारतीय सेना द्वारा किया जाता है। पुराने इतिहास के अनुसार 1056 बाद में कटुरी और चंद राजा ने अल्मोड़ा पर 1790 तक शासन किया। रानिक नाम की व्युत्पत्ति के रूप में दो कहानियां हैं हेट। एक यह है कि कत्यूरी राजा दुधन देव (1180) की रानी, ​​पद्मिनी ने इस जगह का चयन पढ़ाई, खेलने और रहने के लिए किया था, इसलिए इसे रानीखेत नाम दिया गया।