कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का कहर अभी भी बना हुआ है। वही लोगों में कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर का भय बना हुआ है। जिसमें बच्चों को खतरा अधिक होने की संभावना है। जिसके बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बच्चों के इलाज के लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
यह दवाएं बच्चों के उपचार में नहीं दी जाए
कोरोना के रोगियों के उपचार में काम आने वाली आइवरमेक्टिन, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फैविपिराविर जैसी दवाएं और डाक्सीसाइक्लिन व एजिथ्रोमाइसिन जैसी एंटीबायोटिक औषधियां बच्चों के उपचार में न दी जाए, क्योंकि कोरोना पीड़ित बच्चों पर इनका परीक्षण नहीं किया गया है।
कोरोना देखरेख प्रतिष्ठानों में हो वृद्धि-
स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइन में कहा है कि कोरोना वायरस से गंभीर रूप से संक्रमित बच्चों को चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराने के लिए कोरोना देखरेख प्रतिष्ठानों की मौजूदा क्षमता में वृद्धि की जानी चाहिए।
जाने किन बच्चों को टीके में मिले प्राथमिकता-
स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक बच्चों के लिए कोरोना रोधी टीके को स्वीकृति मिलने की स्थिति में टीकाकरण में ऐसे बच्चों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो अन्य रोगों से पीड़ित हैं और जिन्हें कोरोना का गंभीर जोखिम है।
अस्पतालों में टेलीमेडिसिन की व्यवस्था-
स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइन में यह भी कहा है कि बड़ी संख्या में अस्पतालों तक पहुंच के लिए टेलीमेडिसिन की व्यवस्था भी बनाई जा सकती है। जिसमें बच्चों में कोरोना संक्रमण के आंकड़े इकट्ठे करने के लिए इसमें राष्ट्रीय पंजीकरण की सिफारिश की गई है।
3-4 महीने में संभावित तीसरी लहर में हो सकती है संक्रमण के मामलों में वृद्धि-
स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक लाॅकडाउन हटने या स्कूलों के फिर से खुलने के बाद या अगले तीन-चार महीनों में संभावित तीसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामलों में किसी भी वृद्धि से निपटने के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र को संयुक्त रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है।
बीमार बच्चों के अतिरिक्त संसाधन की हो व्यवस्था-
इसी के साथ बच्चों की देखरेख के लिए अतिरिक्त बिस्तरों की सुविधा हो। कोरोना से गंभीर रूप से बीमार बच्चों को देखभाल (चिकित्सा) उपलब्ध कराने के लिए मौजूदा कोरोना देखरेख केंद्रों की क्षमता बढ़ानी होगी ।
पर्याप्त संख्या में हो डाॅक्टर और नर्स-
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित डाॅक्टर और नर्से भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए। जिसके लिए बच्चों की उचित देखभाल के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों की क्षमता बढ़ाने पर अभी से कार्यक्रम शुरू करना चाहिए।
एचडीयू और आइसीयू सेवाएं बढ़ानी है जरूरी-
स्वास्थ्य मंत्रालय ने गाइडलाइन में कहा है कि मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम से पीडि़त ऐसे बच्चे जो कोरोना से गंभीर रूप से संक्रमित न हों, की बच्चों के वर्तमान अस्पतालों में ही देखभाल की जानी चाहिए। इन अस्पतालों में एचडीयू और आइसीयू सेवाएं बढ़ाने की भी जरूरत है।
सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और समुदाय समेत सभी पक्षकारों को दिया जाए प्रशिक्षण-
आयुष मंत्रालय ने गाइडलाइन में कहा है कि सामुदायिक व्यवस्था में घर पर बच्चों के प्रबंधन और भर्ती कराने की जरूरत पर निगरानी रखने के लिए आशा और एमपीडब्ल्यू को शामिल किया जाना चाहिए। इसमें सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और समुदाय समेत सभी पक्षकारों को प्रशिक्षण देना होगा