Health tips: हाई ब्लड प्रेशर के लिए डाइट में शामिल करें यह आहार, मिलेंगे लाभ

आज हम स्वास्थ्य से संबंधित फायदों के बारे में आपको बताएंगे। ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) की बीमारी किसी को भी हो सकती है। लोगो को अपने जीवनशैली में कुछ बदलाव करना चाहिए। ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) का बढ़ना या घटना दोनों नुकसानदायक होता हैं। लोगो को अपने रक्तचाप को नियंत्रित करना चाहिए। खासतौर पर अपने खान पान पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। कई लोगो आहार के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है जिसके कारण ब्लड प्रेशर कम या अधिक हो जाता है।

ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) को हाइपरटेंशन भी कहा जाता है। यह एक ऐसी स्तिथि होती है जिसमे दिल की धमनियों में रक्त का बहाव सामान्य गति से अधिक गति में प्रवाह होने लगता है। इस समस्या का उपचार सही समय पर करवाने से दिल की बीमारियों के जोखिम से बचाव कर सकते है। यदि आपने इन समस्या को नजरअंदाज कर दिया तो आगे चलकर यह समस्या बहुत गंभीर हो जाती है। जैसे दिल का दूर पड़ना, उच्च रक्तचाप स्ट्रोक व अन्य जटिलताओं के कारण व्यक्ति अपनीजान भी गवा देता है।

आइए जानें

हरी पत्तेदार सब्जियां

दिनभर के तनाव को कम करने के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां काफी हद तक मददगार साबित हो सकती हैं। एनसीबीआई के एक शोध के मुताबिक इन सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट (मुक्त कणों को नष्ट करने वाला) और एंटीइन्फ्लामेट्री (सूजन को कम करने वाला) प्रभाव पाया जाता है। यह दोनों प्रभाव संयुक्त रूप से हृदय स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हैं। साथ ही बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकते हैं।

ओटमील (जई की दलिया)

जई की दलिया भी हाई ब्लड प्रेशर चार्ट में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर, विटामिन व मिनरल्स पाए जाते हैं। दलिया का सेवन करने से खून में लिपिड (एक प्रकार का वसा) का स्तर कम हो सकता है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है। साथ ही यह उच्च रक्तचाप को भी नियंत्रित कर पाता है। विभिन्न शोध के बाद वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है कि जो प्रतिदिन पांच ग्राम जई की दलिया का सेवन करते हैं, उनके सिस्टोलिक रक्तचाप स्तर में 7.7 एमएम एचजी की कमी आ सकती है, जबकि डायस्टोलिक रक्तचाप के स्तर में 5.5 एमएम एचजी की कमी पाई गई है।

चुकंदर

इसमें नाइट्रिक ऑक्साइड पाया जाता है, जो रक्त नलिकाओं को फैलने में मदद करता है। इसलिए, चुकंदर का सेवन करने से उच्च रक्तचाप कम हो सकता है। चुकंदर किस तरह उच्च रक्तचाप में लाभदायक है, यह जानने के लिए ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक परीक्षण किया। उन्होंने 15-15 पुरुषों व महिलाओं को दो अलग-अलग ग्रुप में बांट दिया। एक ग्रुप को वैज्ञानिकों ने 500 ग्राम चुकंदर का जूस, जबकि अन्य ग्रुप को सेब का जूस सेवन करने के लिए दिया। जिस ग्रुप को चुकंदर का जूस दिया गया था, करीब दो हफ्ते बाद उनका सिस्टोलिक रक्तचाप स्तर चार-पांच एमएम एचजी कम पाया गया है।

डार्क चॉकलेट

यह पढ़कर कुछ अटपटा लगे, लेकिन सच्चाई यही है कि 70-80 प्रतिशत डार्क चॉकलेट खाने से उच्च रक्तचाप में कमी आ सकती है। डार्क चॉकलेट में फ्लैवनॉल्स पाया जाता है, जिसका असर उच्च रक्तचाप पर पड़ता है। यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेड के वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रतिदिन 30-1000 एमजी डार्क चॉकलेट खाने से सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रक्तचाप में कमी आ सकती है। इसलिए, हर कुछ दिनों के अंतराल में दोपहर या फिर रात के खाने के बाद थोड़ी-सी चॉकलेट खा सकते हैं।

लहसुन

उच्च रक्तचाप के लिए आहार में लहसुन को भी शामिल किया जा सकता है। लहसुन में एलिसिन नामक मुख्य तत्व पाया जाता है। यह शरीर में हाइड्रोजन सल्फाइड के उत्पादन को संतुलित करता है और नाइट्रिक ऑक्साइड को नियंत्रित करता है। इससे रक्त वाहिकाओं को तनाव मुक्त होने व फैलने में मदद मिल सकती है । उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए प्रतिदिन लहसुन की एक-दो कलियों खाई जा सकती हैं।

विटामिन-सी युक्त फल

संतरा, ग्रेपफ्रूट, टैंगोलेज, मंडारिन और नींबू सिट्रस फलों की श्रेणी में आते हैं। इन्हें विटामिन-सी का सबसे अच्छा स्रोत माना गया है। ये उच्च रक्तचाप को कम करने में सक्षम हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर प्रतिदिन 500 ग्राम विटामिन-सी का सेवन किया जाए, तो ये सिस्टोलिक व डायस्टोलिक रक्तचाप को क्रमश: 3.84 एमएच एचजी व 1.48 एमएच एचजी तक कम कर सकता है । ऐसे में अगर विटामिन-सी युक्त दो तरह के फल का प्रतिदिन सेवन किया जाए, तो सेहत में जल्द ही सकारात्मक असर नजर आ सकता है।

बीज

खाद्य विशेषज्ञ हाई बीपी की समस्या में लिए जाने वाले आहार में बीजों को भी शामिल करने की सलाह देते हैं। ये बीज फाइबर, स्वस्थ वसा, विटामिन्स और मिनरल्स के प्रमुख स्रोत हैं । वहीं एक अन्य शोध में माना गया है कि बीज की श्रेणी में शामिल साबुत अनाज, नट, फलियां और कॉफी बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कम कर सकते हैं। ऐसे में प्रतिदिन अपनी स्मूदी में या फिर नाश्ते और सलाद में इन बीजों के एक-दो चम्मच शामिल करना लाभदायक साबित हो सकता है।

दही

हाई बीपी की समस्या में दही का उपयोग भी लाभदायक साबित हो सकता है। इस बात की पुष्टि न्यूट्रिएंट्स नामक जरनल में प्रकाशित हुई एक स्टडी से होती है। इसमें माना गया है कि दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स हृदय स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकता है। इन सभी तत्वों की मौजूदगी के कारण दही मोटापे को कम कर हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है। साथ ही यह बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक है।

फैटी फिश

सैल्मन, मैकेरल, एनकोवी और हेरिंग मछली में ओमेगा-3-फैटी एसिड पाया जाता है। इनका सेवन करने से शरीर में आई सूजन को कम किया जा सकता है। इन मछलियों में भरपूर मात्रा में विटामिन-डी पाया जाता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि ओमेगा-3 में DHA पाया जाता है, जो शरीर की कोशिकाओं में वोल्टेज-गेटेड चैनल को सक्रिय करता है, जो सोडियम को जड़ से खत्म कर देता है। साथ ही शोध में यह भी पाया गया है कि फैटी फिश का सेवन करने से न सिर्फ वजन कम होता है, बल्कि सिस्टोलिक व डायस्टोलिक रक्तचाप में भी कमी आती है। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेने के बाद हफ्ते भर में फैटी फिश की तीन-चार सर्विंग बाउल का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा, फिश ऑयल को भी सप्लीमेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।