आज हम स्वास्थ्य से संबंधित फायदों के बारे में जानकारी देंगे। आज हम बात कर रहे हैं बिच्छू घास की सब्जी की। उत्तराखंड में बिच्छू घास को सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। बिच्छू घास यानी कंडाली एक प्रकार की जंगली घास होती है, जो पहाड़ों की ढलानों और खेतों की मेड़ पर उगती है।
पौष्टिक आहार बिच्छू की सब्जी
बिच्छू घास (कंडाली) की सब्जी आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, विटामिन A, C, K से भरपूर होती है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है, खून की कमी (एनीमिया) दूर करती है और सूजन व जोड़ों के दर्द में राहत देती है; यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने, शरीर को गर्म रखने और एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव में भी मददगार मानी जाती है, खासकर उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में यह एक पौष्टिक और औषधीय साग है।
पोषक तत्वों से भरपूर
यह आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम, विटामिन A, C, K और कई मिनरल्स का बेहतरीन स्रोत है, इसलिए इसे प्राकृतिक मल्टीविटामिन भी कहते हैं।
रक्त संचार और एनीमिया में फायदेमंद
आयरन से भरपूर होने के कारण यह खून की कमी (एनीमिया) को दूर करती है और रक्त संचार को बेहतर बनाती है, खासकर महिलाओं के लिए उपयोगी है।
सूजन और दर्द में राहत
इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन-रोधी) गुण होते हैं, जो मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द, आर्थराइटिस (गठिया) और शरीर की जकड़न को कम करते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है
इसके एंटीऑक्सीडेंट और पोषक तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को मजबूत करते हैं।
ब्लड प्रेशर और हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद
यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है।
शरीर को गर्मी देती है
इसकी तासीर गर्म होती है, जिससे यह सर्दियों में शरीर को अंदर से गर्म रखती है और ठंड से बचाती है।
कैंसर से बचाव
एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण यह कोशिकाओं को फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाती है, जिससे कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा कम हो सकता है।
महिलाओं के लिए
मासिक धर्म और PCOD जैसी समस्याओं में यह मददगार हो सकती है।
खाने में भी स्वादिष्ट
बिच्छू घास से बनी सब्जी, जिसे स्थानीय लोग ‘कंडाली’ कहते हैं। बिच्छू घास को पकाने से पहले सावधानीपूर्वक तोड़ा जाता है, और हाथों की सुरक्षा के लिए दस्तानों का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद इसे अच्छे से धोकर उबाला जाता है या कभी-कभी आग पर भून भी लिया जाता है, ताकि इसकी झनझनाहट खत्म हो जाए। फिर इसे सरसों के तेल में लहसुन, प्याज, जीरा और कुछ मसालों के साथ भूनकर सब्जी बनाई जाती है।