भारत और चीन, किसका है अरुणाचल प्रदेश, विवाद के बीच अमेरिका ने दी ये मान्यता, जानें

अमेरिका  ने औपचारिक रूप से मैकमोहन रेखा को भारत के अरुणाचल प्रदेश और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मान्यता दी है और पेचिंग के इस दावे को खारिज कर दिया कि अरुणाचल प्रदेश चीन के क्षेत्र में आता है। सीनेटर जेफ मर्कले के साथ सीनेट में प्रस्ताव पेश करने वाले सीनेटर बिल हैगर्टी ने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब चीन मुक्त एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए लगातार गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है, अमेरिका के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह इस क्षेत्र में अपने रणनीतिक भागीदारों, खासकर भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहे।”

भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का भी किया गया समर्थन

इस आशय का प्रस्‍ताव दो दलों की ओर से पहली बार पिछले महीने अमेरिकी सीनेट में पेश किया गया था। मंगलवार को इस प्रस्‍ताव में अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग माना गया और भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का भी समर्थन किया गया। मैकमोहन रेखा को मान्यता देने के अलावा प्रस्ताव में क्षेत्र में चीन की उकसाने वाली गतिविधियों की भी निंदा की गई। प्रस्‍ताव में कहा गया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने के लिए चीन सैन्य बल का उपयोग कर रहा है तथा विवादित क्षेत्रों में गांवों का निर्माण और अरुणाचल प्रदेश के शहरों के लिए मंदारिन भाषा के नामों के साथ मानचित्रों का प्रकाशन कर रहा है। साथ ही भूटान पर भी चीन अपने दावे कर रहा है। जापान में अमरीका के पूर्व राजदूत और सीनेटर बिल हैगर्टी ने कहा कि यह प्रस्ताव अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न अंग के रूप में स्पष्ट रूप से मान्यता देने के लिए सीनेट के समर्थन को व्यक्त करता है।

दक्षिण एशिया में चीन की उकसाने वाली गतिविधियों की निंदा शीर्षक तवांग में भारतीय और चीनी सेना के बीच हुई बड़ी झड़प के बाद आया

बता दें की अरुणाचल प्रदेश की भारतीय क्षेत्र के रूप में फिर से पुष्टि और दक्षिण एशिया में चीन की उकसाने वाली गतिविधियों की निंदा शीर्षक वाला यह प्रस्ताव, पिछले साल दिसंबर में अरुणाचल के तवांग में भारतीय और चीनी सेना के बीच हुई बड़ी झड़प के बाद देखने को मिला ।