अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस 2022: जाने कहां से हुई श्रमिक दिवस मनाने की शुरुवात

हर वर्ष विभिन्न देशों में 1 मई अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस या मई दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस के अवसर पर विभिन्न देशों में आधिकारिक सार्वजनिक अवकाश होता है।
मई दिवस की अलग-अलग देशों में अलग-अलग मूल कहानियां हैं। हालांकि सभी देशों की कहानियों का जनक  शोषण के खिलाफ खड़ा श्रमिक वर्ग ही रहा है।

अमेरिका के श्रमिक आन्दोलन को किया जाता है याद

श्रम दिवस के आने से पहले विश्व स्तर पर मजदूर वर्ग के लिए मृत्यु, चोटों और खतरनाक कामकाजी परिस्थितियाँ बहुत आम थीं। औद्योगीकरण के उदय के समय, 19 वीं शताब्दी के दौरान अमेरिका ने मजदूरों का शोषण किया और कठोर परिस्थितियों में उनसे दिन में 15 घंटे काम कराया। उद्योगों में कर्मचारियों की बढ़ती मौत ने श्रमिक वर्ग को अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठाने के लिए मजबूर किया। श्रमिकों और समाजवादियों द्वारा किए गए प्रयासों के बाद, अमेरिकन फेडरेशन ऑफ लेबर द्वारा 19 वीं शताब्दी के अंत में शिकागो में आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में श्रमिकों के काम करने के लिए आठ घंटे का कानूनी समय घोषित किया गया था।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन: श्रमिकों के अधिकारों का रक्षक

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की है। यह संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र त्रिपक्षीय संस्था है जिसका उद्देश्य मानवाधिकारों एवं श्रमिक अधिकारों को बढ़ावा देना है। इसका कार्य श्रम मानक निर्धारित करना, नीतियां बनाना  एवं सभी महिलाओं तथा पुरुषों के लिये सभ्य कार्य को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तैयार करना है। इसके 187 सदस्य देश हैं तथा इसका मुख्यालय जेनेवा में है। वर्ष 1919 में वर्साय की संधि द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। वर्ष 2019 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपनी 100वीं वर्षगांठ भी मनाई।

भारत में चेन्नई से हुई थी शुरुआत

भारत में पहला श्रम दिवस 1 मई 1923 को लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान द्वारा चेन्नई में मनाया गया था। पार्टी के नेता, सिंगारवेलु चेट्टियार ने दो स्थानों पर ’मई दिवस’ समारोह का आयोजन किया था – एक मद्रास उच्च न्यायालय के सामने वाले समुद्र तट पर और दूसरा त्रिपलिकेन समुद्र तट पर। यह पहली बार था जब भारत में श्रम दिवस के प्रतीक के रूप में लाल झंडे  का इस्तेमाल किया गया था। यह दिन श्रमिक आंदोलनों से जुड़ा हुआ है। मजदूर दिवस को हिंदी में  ‘कामगर दिन’, मराठी में ‘कामगर दिवस’ और तमिल में ‘उझाईपलर नाल’ के नाम से भी जाना जाता है।