मौसमी बुखार जिसें हम सीजनल फ्लू भी कहते हैं बदलते मौसम के साथ हमारे बीच दस्तक देता है। इससे एक बात तो साफ है कि सीजनल फ्लू हर मौसम में होने वाला फ्लू है। जी हां, गर्मियों के समय में सीजनल फ्लू लू लगने या डिहाईड्रेशन से होता है, वहीं बारिश और सर्दी के मौसम में यह सर्दी-जुकाम के रास्ते शरीर में जगह बनाता है।
बारिश और गिरते तापमान के बीच काफी लोग बीमार
गौरतलब हो सर्दियों का मौसम शुरू हुए डेढ़ महीने से अधिक समय हो चुका है और इस बीच यह मौसमी बुखार अपने पूरे प्रकोप के साथ लोगों असर करता दिखाई दे रहा है। दरअसल, बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश और गिरते तापमान के चलते भी काफी लोगों में सर्दी-खांसी-जुकाम जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं।
कोरोना में सीजनल फ्लू को लेकर ज्यादा सतर्कता की जरूरत
कोरोना के दौर में सभी को सीजनल फ्लू को लेकर अधिक गंभीर और ज्यादा सतर्क रहने की आवश्यकता है। डॉक्टर भी इस संबंध में यह परामर्श दे रहे हैं कि फ्लू के लक्षण यदि तीन दिन से अधिक लगातार बने रहते हैं, तो तुरंत जांच कराएं, क्योंकि ये लक्षण कोरोना के भी हो सकते हैं। ऐसे में आपके लिए जरूरी हो जाता है कि आखिर इस सीजनल फ्लू के क्या लक्षण होते हैं।
सीजनल फ्लू के लक्षण जानना क्यों जरूरी
सीजनल फ्लू के लक्षण जानना जरूरी इसलिए भी है क्योंकि सामान्य फ्लू और कोरोना के लक्षण काफी हद तक एक जैसे होते हैं। यही वजह है कि कई बार लोग सामान्य सर्दी जुकाम या बुखार से भी परेशान हो जाते हैं और बेवजह का तनाव लेने लगते हैं। ऐसे में फ्लू होने पर जांच जरूर कराएं।
सीजनल फ्लू के लक्षण
सीजनल फ्लू में बुखार, सर्दी, खांसी आना, सांस की तकलीफ, थकान, गले में खराश, बंद नाक की समस्या, सिर दर्द, मसल पेन या बॉडी पेन की दिक्कत हो सकती है। चूंकि इस मौसम में कोविड और सीजनल फ्लू दोनों के केस देखे जा रहे हैं। ऐसे में इनको लेकर कोई भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
कैसे करें अंतर
कोविड-19 के विशिष्ट लक्षणों में लगातार खांसी, तापमान अधिक होने के साथ स्वाद और गंध न आने की समस्या होती है, ऐसे लक्षण सीजनल फ्लू में नहीं देखे जाते हैं। हालांकि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन में फिलहाल स्वाद या गंध की समस्या भी नहीं देखी जा रही है। अगर आपमें लक्षण दो से चार दिनों तक बने रहते हैं और कोविड-19 का संदेह है, तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेकर इसकी जांच करा लें।
इस समय अस्पताल में जो पेशेंट्स आ रहे हैं उनमें देखें जा रहा है यह सिम्पटम्स
जो पेशेंट्स कॉमन सिंपटम्स के साथ आ रहे हैं वो फ्लू जैसे लक्षण के साथ आ रहे हैं जैसे गले में खराश, थोड़ा शरीर में दर्द और थोड़ा सा बुखार। इनमें ज्यादातर फ्लू वाले सिम्पटम्स के साथ ही लोग आ रहे हैं। फिर दूसरे ऐसे लोग भी आ रहे हैं, जिन्हें और कोई बीमारी थी, जैसे कैंसर, गुर्दे की बीमारी, डायलिसिस (Dialysis) की जरूरत है, तो अस्पताल में लोग भर्ती हो रहे हैं, ज्यादातर लोग ऐसे भी हैं जिन्हें और बीमारियां हैं। जो आईसीयू (ICU) में हैं, वेंटिलेटर (Ventilator) पर हैं, उन्हें बहुत ही मुश्किल बीमारियां हैं, जैसे कोई लाइलाज कैंसर है, गुर्दे की बीमारी में दोनों किडनियां खराब। बाकी वो लोग जो वार्ड में हैं वो स्टेबल हैं, किसी का बुखार नहीं जा रहा तो किसी का बदन दर्द। उन्हें इंजेक्शन की जरूरत है, और कुछ लोग ऐसे हैं जो घर में आइसोलेट नहीं कर पाते हैं।
इलाज के लिए क्या करें
एक्सपर्ट्स का मत है कि 2 सालों में जितना कुछ बीमारी के बारे में जान पाए हैं, ऐसे बहुत सारे इलाज हैं जो शुरू हुए थे, फिर धीरे धीरे हमें पता चला कि उनकी जरूरत नहीं है। तो आज ओमिक्रॉन के साथ जो इन्फेक्शन हो रहा है, इसमें जो लोग होम आइसोलेशन में हैं, उनको बुखार हो तो पैरासेटामोल लें, दिन में तीन बार हर 8 घंटे में ले सकते हैं। अगर फिर बुखार बढ़े तो पानी से सिंकाई कर लें, और सिंपटोमैटिक इलाज करें। पिछली लहर के दौरान लोग जो विटामिन सी, जिंक और ऐसी बहुत सारी दवाइयां खा रहे थे, और इतनी तादाद से खा रहे थे कि ये दवाइयां बाजार में मिलनी मुश्किल हो गई थीं, अब उन दवाइयों की सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार जरूरत नहीं है जब तक कि किसी और वजह से न खानी पड़ें। अगर पैरासिटामोल लेने के बाद भी बुखार ठीक नहीं होता है और 3-4 दिन हो गए हैं तो अपने डॉक्टर से बात कीजिए, अगर सांस लेने में तकलीफ हो या आपका सैचुरेशन लेवल गिरे तब आप डॉक्टर से परामर्श लें।