चैत्र नवरात्रि: नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान,जानें पौराणिक कथा

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है।  इस दिन मां कात्यायनी की विधिवत पूजा के साथ साथ मां को उनका पसंदीदा भोग लगाकर खुश किया जाता है ताकि मां जातक और उसके परिवार को आशीर्वाद दें।मां कात्यायनी की पूजा करने पर विवाह में आ रही दिक्कतें दूर होती है और सुंदर रूप और कमनीय काया की प्राप्ति होती है।

जानें शुभ मूहर्त

पंचाग की  तिथि  के अनुसार 26 मार्च 2023, रविवार को सायंकाल 04:33 से ही प्रारंभ हो गई थी जो आज यानी 27 मार्च 2023, सोमवार को सायंकाल 05:27 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा 27 मार्च 2023 को की जाएगी।

ऐसा है मां का स्वरूप

मां के स्वरूप को देखें तो तेजस्वी मां कात्यायनी शेर पर सवार हैं। मां कात्यायनी का स्वरूप चमकीला और तेजमय है। इनकी चार भुजाएं हैं। दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में रहता है। वहीं नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में है। मां कात्यायनी के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार धारण करती हैं व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित रहता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो भी जातक देवी कात्यायनी की पूजा पूरी श्रद्धा से करता है, उसे परम पद की प्राप्ति होती है।

ऐसे करें पूजा

नवरात्रि के छठे दिन इस दिन प्रातः काल में स्नान आदि से निवृत्त होकर मां का गंगाजल से आचमन करें। फिर देवी कात्यायनी का ध्यान करते हुए उनके समक्ष धूप दीप प्रज्ज्वलित करें। रोली से मां का तिलक करें अक्षत अर्पित कर पूजन करें। इस दिन मां कात्यायानी को गुड़हल या लाल रंग का फूल चढ़ाना चाहिए। अंत में मां कात्यायनी की आरती करें और क्षमायाचना करें।इस दिन मां कात्यायनी को पूजन में शहद का को भोग लगाना चाहिए। इससे मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।

जानें पौराणिक कथा

हिंदू पौराणिक कथाओं और शिव महा पुराण के अनुसार, महिषासुर नामक एक शक्तिशाली राक्षस था जिसकी मजबूत मानसिक शक्ति और विशाल शारीरिक शक्ति थी। महिषासुर का उद्देश्य सभी रचनाकारों सहित पृथ्वी और उसके सामान को नष्ट करना था। इसलिए देवी पार्वती, देवी दुर्गा के एक अन्य रूप, देवी कात्यायनी के रूप में प्रकट हुईं, अपनी ताकत और शक्ति के साथ पृथ्वी की रक्षा करने के लिए व महिषासुर को नष्ट करने के लिए। महिषासुर में विभिन्न रूप बदलने की क्षमता थी। एक बार जब उसने एक भैंस का रूप लिया, देवी कात्यायनी अपने शेर से उठी और अपने त्रिशूल से उस राक्षस के गले पर प्रहार करके उस मार डाला। इसलिए, उन्हें पृथ्वी की योद्धा देवी और उद्धारकर्ता के रूप में जाना जाता है।

इन मंत्रों का करें जाप

🙏या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।🙏

🙏चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना|
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||🙏