अल्मोड़ा: एस. एस .जे.परिसर में आयोजित सामुदायिक कार्यशाला में समाज से अच्छी आदतें ग्रहण करने और उनका अनुसरण करने के लिए छात्रों को किया गया प्रेरित

एस. एस .जे.परिसर अल्मोड़ा के शिक्षा संकाय में पांच दिवसीय सामुदायिक कार्यशाला का आयोजन २१ मार्च २०२३ से २५ मार्च २०२३ तक किया जा रहा है।

कार्यक्रम का आयोजन

कार्यशाला के द्वितीय दिवस की शुरुवात असिस्टेंट प्रोफेसर सुश्री सरोज जोशी तथा ललिता रावल द्वारा की गयी।एम.एड. तृतीय सेमेस्टर के विद्यार्थी मंजूषा कापड़ी और मिताक्षरा आगरकोटी द्वारा प्रथम दिवस के दोनों सत्रों का प्रतिवेदन संक्षिप्त में प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रोफेसर जी. एस. नयाल उपस्थित रहे।तत्पश्चात असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. देवेंद्र चम्याल द्वारा प्रोफेसर नयाल का परिचय एक समयबद्ध और समर्पित शिक्षक एवं उनके जीवन के प्रेरणास्त्रोत के रूप में दिया गया।

समाज से सीखें अच्छी आदतें

   प्रोफेसर जी.एस. नयाल द्वारा प्रथम सत्र का व्याख्यान हैबिट शब्द को लेकर शुरू किया गया,की किस तरह हैबिट(आदत) समाज से हमारे भीतर आती है और कैसे बुरी आदतें मनुष्य के जीवन को नर्क बनाने का कार्य करती हैं। उन्होंने समाज से अच्छी आदतें ग्रहण करने और उनका अनुसरण करने के लिए छात्रों को प्रेरित किया। समाज को उन्होंने एक सामाजिक भौतिकी कहते हुवे उन्होंने संस्कृतिकरण एवं महिला सशक्तिकरण को जोड़ने का भी प्रयास किया। इसके साथ ही साथ उन्होंने एम.एड. प्रशिक्षुओं को शोध उपकरण बनाने के पद, सिद्धांत एवं विधि से अवगत कराया।

आगामी कार्यक्रम को लेकर दिशा निर्देश

प्रथम सत्र के व्याख्यान के बाद कार्यशाला की समन्वयक असिस्टेंट प्रोफेसर सुश्री सरोज जोशी एवं असिस्टेंट प्रोफेसर  ललिता रावल द्वारा आगामी दिवसों में समुदाय के साथ एवं मध्य किए जाने वाले कार्यक्रम की चर्चा की गई और उससे संबंधित दिशा निर्देश प्रदान किए गए।

नेतृत्व के गुणों से कराया अवगत

  कार्यक्रम के दूसरे सत्र, नेतृत्व एवं नेतृत्व के गुण व आवश्यकता ( लीडरशिप ट्रेट्स एंड इंपोर्टेंस) में विधि संकाय के संकायाध्यक्ष प्रोफ़ेसर जे. एस. बिष्ट विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहे। लीडर का वर्णन करते हुवे उन्होंने बताया कि एक लीडर वो है जो समाज में परिवर्तन लाने को लेकर विचार एवं कार्य करता है, जो सत्य और न्याय के लिए जोखिम उठाने  के लिए तत्पर रहता है, जो प्रकृति से अभिनव हो और कहा कि एक लीडर जब तक अपने कर्तव्य को लेकर सत्यवादी नहीं होगा तबतक वो एक लीडर नही कहलाया जा सकता। विभिन्न लीडर्स के बारे में बताते हुवे उन्होंने एक शिक्षिका का उदाहरण दिया जो अत्यंत परिवर्तनकारी है और कहा की ऐसे शिक्षक ही हमारे भारतवर्ष के असली लीडर और राष्ट्र निर्माता हैं। इन्ही शब्दों के साथ प्रोफेसर बिष्ट ने एम.एड. प्रशिक्षुओं के भीतर एक भावी, परिवर्तनकारी, लीडर और शिक्षक बनने का प्रकाश प्रज्वलित किया। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर भीमा मनराल द्वारा प्रोफ़ेसर जे.एस. बिष्ट को धन्यवाद ज्ञापित करने के साथ द्वितीय दिवस के कार्यक्रम का समापन किया गया।

यह लोग रहे उपस्थित

इस अवसर पर एम एड तृतीय सेमेस्टर के प्रियांका, महिमा, वर्षा, ममता, निधि, हिमांशु  इत्यादि प्रशिक्षणार्थी व शिक्षा संकाय के समस्त प्राध्यापक उपस्थित रहे।