2018 के बहुचर्चित केस में न्यायालय ने अभियुक्त को फांसी की सजा सुनाई ।छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के न्यायालय इतिहास में 20 साल बाद किसी अभियुक्त को फांसी की सजा मिली है ।
5 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला
2018 के दुर्ग के बहुचर्चित डबल मर्डर के मामले में दुर्ग कोर्ट ने 5 साल बाद फैसला सुनाते हुए आरोपी बेटे को फांसी की सजा सुनाई । विशेष न्यायधीश शैलेश कुमार तिवारी ने संदीप को मां और पिता की हत्या के दोनों मामलों में अलग- अलग फांसी की सजा सुनाई है । इसके साथ ही कोर्ट ने दो सहअभियुक्तों को भी पांच साल की सजा सुनाई है । दोनों आरोपियों से संदीप ने पिस्तौल की खरीद की थी।
संपत्ति के लिए माता पिता की अकेली संतान ने उन्हें मार डाला
संपत्ति के लिए माता पिता की अकेली संतान ने ही उन्हें मार डाला। संदीप इकलौता वारिस था और वह करोड़ों की संपत्ति अपने नाम करना चाहता था । जिसके चलते उसने अपने माता पिता की हत्या कर दी। संदीप जैन ने अपने मां पर तीन और पिता पर दो गोली चलाई थी और यह पिस्तौल उसने भगत सिंह गुरुदत्ता और शैलेन्द्र सागर से 1.35 लाख में खरीदी थी ।
फांसी की सजा सुनते ही आरोपी हुआ बेहोश
विशेष न्यायधीश शैलेश कुमार तिवारी ने फैसला सुनाने से पहले साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की चार पंक्तियां बोली । जिसमें इस बात का उल्लेख था कि अज्ञानता के कारण जो काम किया गया हो । उससे किसी अपनों का जीवन समाप्त होता है । तो उसके लिए विरलतम से विरल की क्या सजा होनी चाहिए । फांसी की सजा सुनते ही संदीप बेहोश होकर गिर गया था । इसके बाद उसे होश में लाकर जेल भेजा गया । इसके साथ सहअभियुक्तों भगत सिंह गुरुदत्ता और शैलेन्द्र सागर को भी कोर्ट ने पांच साल की सजा सुनाई है।