उत्तराखंड: व्यापारी को जीएसटी चोरी के मामले में मिली सजा, राज्य कर विभाग का दावा, देश में यह पहला मामला

हरिद्वार के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने जीएसटी चोरी के मामले में माल एवं सेवा कर अधिनियम के तहत प्रदेश की पहली सजा सुनाई है। सूचना के अनुसार राज्य कर विभाग की सीआईयू टीम ने अप्रैल 22 में हरिद्वार जिले के ज्वालापुर निवासी सुरेंद्र सिंह की छह फर्मों पर कार्रवाई की थी। 

आरोपित व्यापारी ने फर्जी बिलों के जरिए किया लगभग 17 करोड़ का घोटाला

जांच में कर विभाग ने पाया कि आरोपित सुरेंद्र सिंह ने जीएसटी पंजीकरण में मुख्य व्यापार मैनपावर सप्लाई का दिखाया, लेकिन माल खरीद किए बिना ही दिल्ली व हरियाणा की फर्मों से आयरन, फ्लाईवुड व फर्नीचर की फर्जी खरीद दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत फायदा उठाते हुए  फर्जी क्लेम लिया था। फर्जी बिलों में जिन फर्मों से खरीद दिखाई गई वे दिल्ली व हरियाणा में मौजूद नहीं थीं और बताया जा रहा है कि आरोपी ने इससे लगभग 17 करोड़ रुपये का घोटाला किया है।

आरोपों की पुष्टि होते ही आरोपित को किया गया गिरफ्तार

मामले के मुख्य जांच अधिकारी डिप्टी कमिश्नर धर्मेंद्र सिंह चौहान और विनय पांडेय ने पाया कि आरोपी ने ई-वे बिल में माल ढुलाई के लिए जिन वाहनों को दर्शाया था, वे दोपहिया वाहन निकले। साथ ही किसी भी वाहन ने टोल प्लाजा क्रॉस ही नहीं किया था। ई-वे बिल बनाने के लिए एक मोबाइल नंबर व ई-मेल का प्रयोग किया गया। आरोपित सुरेंद्र सिंह ने छह अलग-अलग फर्मों को जीएसटी में पंजीकृत किया था। आरोपों की पुष्टि होने पर आरोपित सुरेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया गया था।

जीएसटी चोरी मामले में अदालत से दोषी को सजा होने का देश में पहला मामला

सीजेएम हरिद्वार मुकेश चंद्र आर्य की अदालत ने  शनिवार को आरोपी सुरेंद्र सिंह को दोषी करार देते हुए पांच साल के कारावास और एक लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। राज्य कर विभाग ने दावा किया है कि जीएसटी चोरी में अदालत से दोषी को सजा होने का देश में यह पहला मामला है।