उत्तराखंड के कुल क्षेत्र का लगभग 65 प्रतिशत भाग वन क्षेत्र के रूप में है। जहां एक तरफ प्रदेश अपने विशाल वन क्षेत्र में पशु और पक्षियों की विलुप्त हो रही प्रजातियों को सहेजने में अहम योगदान देता है, वहीं कभी कभी इन्हीं वनों में रहने वाले हिंसक पशु मानव जीवन के लिए संकट भी पैदा कर देते हैं। खासतौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में काफी समय से तेंदुए का आतंक जारी है।
मासूम बच्ची को मां की पीठ से उठा ले गया नरभक्षी तेंदुआ
सूचना के अनुसार पिथौरागढ़ जिले की बेरीनाग तहसील में स्थित चचड़ेत गांव में तेंदुए ने एक बच्ची को शिकार बना डाला। दरअसल शनिवार की शाम गांव में लोग गो-त्यार मना रहे थे। पान सिंह अपनी पत्नी कविता के साथ आंगन में खड़े थे और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी कविता की पीठ पर थी। तभी घात लगाकर बैठा तेंदुआ मां की पीठ पर बैठी बेटी को झपटकर उठा ले गया। तुरंत परिवार ने हो हल्ला कर ग्रामीणों को एकत्र कर लिया। इसके बाद सभी मिलकर बच्ची को ढूंढने के लिए जंगल की ओर निकले, जहां घर से करीब डेढ़ सौ मीटर दूरी पर क्षत-विक्षत अवस्था में बच्ची का शव पड़ा मिला। बच्ची की मौत के बाद परिवार में कोहराम मच गया।
पीड़ित परिवार को मुआवजा देने और गांव में पिंजरा लगाने की मांग
घटना की जानकारी मिलते ही वन क्षेत्राधिकारी चंद्रा मेहरा के नेतृत्व में टीम मौके पर पहुंची। घटना के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने क्षेत्र में पिंजरा लगाने की मांग की है। इसके बाद क्षेत्रीय विधायक फकीर राम टम्टा, एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला, थानाध्यक्ष मनोज पांडेय, भाजपा मंडल अध्यक्ष धीरज बिष्ट सहित बड़ी संख्या में लोग गांव पहुंचे। विधायक ने मृत बच्ची के परिजनों को सांत्वना दी और साथ ही वन विभाग से पीड़ित परिवार को मुआवजा देने और गांव में पिंजरा लगाकर तत्काल तेंदुए को पकड़ने को कहा।
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