अल्मोड़ा: पोक्सो मामले में अभियुक्त को मिली ज़मानत

न्यायाधीश मलिक मजहर सुलतान की अदालत ने पोक्सो मामले में अभियुक्त की जमानत याचिका पर उसे रिहा कर दिया है । अभियुक्त केशर सिंह पुत्र हीरा सिंह  निवासी दौलीगाड पो ०ओ० दौलीगाड जिला अल्मोड़ा  की ओर  से अधिवक्ता दीप चंद जोशी, कृष्णा बाराकोटी, पंकज बजेठा, सुनील कुमार ग्वाल और निखिलेश पवार द्वारा पैरवी की गई ।

जमानत याचिका में यह कहा गया

अभियुक्त की जमानत याचिका में कहा गया कि
अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। अभियुक्त दिनांक 25.7.2022 से न्यायिक अभिरक्षा में हैं तथा वादी मुकदमा तथा अभियुक्त अगल-बगल के गाँव के निवासी है तथा एक दूसरे से अच्छी तरह से परिचित है। वादी मुकमदा अभियुक्त से रंजिश रखता है जिस कारण उसके विरूद्ध यह रिपोर्ट लिखाई गई है। अभियुक्त 27 वर्ष का नवयुवक है और अपने परिवार का एकमात्र कमाऊ व्यक्ति है। जमानत होने की दशा में अभियुक्त जमानत का दुरुपयोग नहीं करेगा ।



अभियोजन पक्ष के द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र का किया गया  विरोध

अभियोजन पक्ष के द्वारा जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध किया गया तथा विवेचना अधिकारी की लिखित आपत्ति 8/1-8ख/2 दाखिल की जिसमें कथन किया गया कि वादी मुकदमा की तहरीर पर अभियुक्त के विरूद्ध धारा 363 एवं 366 भारतीय दण्ड संहिता का मुकदमा पंजीकृत हुआ है तथा अभियुक्त के कब्जे से नाबालिक पीड़िता को बरामद किया गया है। पीड़िता के द्वारा अपने धारा 161 व धारा 164 दण्ड प्रक्रियां संहिता के बयानों में बताया है कि वह घर से स्कूल जाने के लिये दिनांक 23.7.2022 को सुबह तैयार होकर निकली थी लेकिन रास्ते में बारिश होने के कारण वह दन्या ही रुक गई जहाँ उसे अभियुक्त मिला जिसे पीड़िता पहले से जानती थी तथा अभियुक्त पीड़िता के परिजनों को बिना बताये अपने साथ हरियाणा में शादी करने के उद्देश्य से हल्द्वानी ले गया। यदि अभियुक्त को जमानत दी जाती है तो वह नाबालिग पीड़िता और उसके परिवारजनों को डरा धमका सकता है तथा साक्ष्य से छेड़खानी कर सकता है।

अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं

मामले में पीड़िता के द्वारा अपने बयान अन्तर्गत धारा  161 एवं 164 दण्ड प्रक्रिया संहिता में स्पष्ट रूप से किया है कि स्वयं अपनी मर्जी से वर्तमान अभियुक्त के पास गई थी। अभियोजन के द्वारा इस स्तर पर यह कही भी दर्शित नहीं किया गया है अभियुक्त के द्वारा पीड़िता को विवाह के लिये मजबूर किया गया। अभियुक्त दिनांक 25.7.2022 से न्यायिक हिरासत में है और अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास अभियोजन पक्ष की और से दर्शित नहीं किया गया है। अतः उक्त परिस्थितियों को देखते हुये तथा माननीय उच न्यायालय के उपरोक्त न्याय निर्णय के आलोक में इस स्तर पर मामले के गुण दोष पर कोई टिप्पणी ना करते हुये न्यायालय इस मत का है कि अभियुक्त को जमानत पर रिहा किये जाने के आधार पर्याप्त है और अभियुक्त का जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकृत होने योग्य है।

अभियुक्त रिहा

अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता  दीप चन्द्र जोशी तथा अभियोजन की और से विद्वान विशेष अभियोजक को सुना तथा पुलिस प्रपत्रों का परिशीलन किया।अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि अभियुक्त निर्दोष है और उसके द्वारा पीड़िता को कभी भी बहलाया फुसलाया नहीं गया।  जमानत प्रार्थना पत्र में अभियुक्त द्वारा कथन किया गया कि उसे उक्त मामले में झूठा फंसाया गया है। उसके द्वारा उपरोक्त धाराओं में कोई अपराध नहीं किया गया है। प्रार्थी / अभियुक्त से कोई रिकवरी नहीं हुई है। अभियुक्त के विरुद्ध पारा 363 एवं 366 भारतीय दण्ड संहिता का अपराध नहीं बनता है। उसके विरुद्ध विधिपूर्ण संरक्षण से व्यपहरण तथा विवाह को विवश करने के लिये व्यहरण के तथ्य भी अभिलिखित नहीं है।अतः उक्त परिस्थितियों को देखते हुये तथा माननीय उच न्यायालय के उपरोक्त न्याय निर्णय के आलोक में इस स्तर पर मामले के गुण दोष पर कोई टिप्पणी ना करते हुये न्यायालय इस मत का है कि अभियुक्त को जमानत पर रिहा किये जाने के आधार पर्याप्त है और अभियुक्त का जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकृत होने योग्य है। इस प्रकार अभियुक्त को 30,000 रु ० का एक स्व बंध पत्र तथा समान राशि के दो प्रतिभू दाखिल करने पर जमानत पर रिहा कर दिया गया ।