अफ़ग़ान लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित बाहर निकालने में भारत समेत कई देश आगे आए, आइये जाने इनके बारे में

अफगानिस्तान संकट और तालिबान के कब्जे के बीच लोगों को सुरक्षित निकालने में भारत समेत कई देश आगे रहे। इन देशों ने अपने नागरिकों के साथ ही अन्य देशों के नागरिकों को भी सुरक्षित निकाला। भारत में भी अफगानी नागरिकों के साथ कई विदेशी नागरिक भी वापस आए। वहीं अब मदद करने वाले भारत समेत दूसरे देशों को अमेरिका ने धन्यवाद कहकर आभार जताया है।

दरअसल तालिबान के काबुल पर कब्जा करने से पहले ही भारत ने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने की पहल शुरू कर दी थी। विदेश मंत्रालय के मुताबिक सरकार ने काबुल या दुशांबे से करीब छह अलग-अलग उड़ानों के जरिए से लगभग एक हजार से ज्यादा लोगों को निकाला गया। हालांकि अफगानिस्तान से निकाले गए कुल भारतीय संख्या पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने 27 अगस्त को कहा कि लाने वालों की निश्चित संख्या नहीं कह सकते हैं क्योंकि अफगानिस्तान छोड़ने के लिए संपर्क करने वालों की नई जानकारी मिलती रही। लेकिन ऐसे भारतीय भी हो सकते हैं, जो वहां रहना चाहते हैं। कुछ ऐसे भी हैं, जो वहीं से दूसरे देशों में चले गए। कुछ भारतीय हमारे भागीदारों के जरिए से अफगानिस्तान से बाहर निकाले गए। उन्होंने कहा कि हमारा आकलन यह है कि लौटने की इच्छा रखने वाले ज्यादातर भारतीयों को निकाल लिया गया है। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय के मुताबिक काबुल से भारत आने वालों में कई अफगानी सांसद समेत, वहां के भी नागरिक रहे।

भारत ने UNSC में भी सुरक्षित निकासी के लिए रखा प्रस्ताव

वहीं बचे हुए और वापस आने वाले नागरिकों की सुरक्षित वापसी के लिए भी देश प्रतिबद्ध है और इसलिए हाल ही में भारत की अध्यक्षता में UNSC में अफगानिस्तान पर प्रस्ताव पारित किया गया। जिसमें कहा गया कि तालिबान से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अफगान तथा विदेशी नागरिकों को सुरक्षित तरीके से देश छोड़ने की अनुमति देगा। अफगानिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों , विशेष रूप से सिख तथा हिन्दू समुदाय के लोगों की रक्षा की जाएगी। प्रस्ताव में तालिबान से यह भी कहा गया है कि वह संयुक्त राष्ट्र और मानवीय सहायता मुहैया कराने वाली एजेंसियों की पहुंच और उन्हें बिना बाधा के काम करने की छूट दे।

124,000 से अधिक लोगों को निकाला गया

हाल ही में अमेरिका के मुताबिक 124,000 से अधिक लोगों को काबुल से निकाला। इसमें 6,000 अमेरिकी नागरिक रहे और इसी के साथ 30 अगस्त की रात अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की पूरी तरह वापसी हो गई।

इन देशों की वजह से निकालना हुआ संभव

अमेरिकी विदेश विभाग ने बताया कि सहयोगियों व साझेदारों की सहायता के साथ दो दर्जन से अधिक देशों वाले ग्लोबल नेटवर्क की सहायता से अफगानिस्तान से लोगों की सुरक्षित निकासी हुई। इसमें बहरीन, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, जार्जिया, हंगरी, इटली, कोसोवो, कुवैत, नीदरलैंड, नार्वे, पाकिस्तान, कतर, स्पेन, स्विट्जरलैंड, तुर्की, यूक्रेन और संयुक्त अरब अमीरात के साथ ब्रिटेन शामिल हैं, जिन्होंने अमेरिकी और अन्य नागरिकों को अफगानिस्तान में तालिबानी हिंसा की चपेट में आने से पहले सुरक्षित निकासी में मदद की।

इन देशों ने अफगानों के पुनर्वास में मदद की पेशकश की

वहीं कई देशों ने अफगानों के पुनर्वास प्रयासों के संबंध में विभिन्न तरीकों से मदद करने के लिए पेशकश की। इन देशों में अल्बानिया, बहरीन, कनाडा, कोलंबिया, कोस्टा रिका, चिली, इक्वाडोर, गुयाना, भारत, कुवैत, मैक्सिको, नीदरलैंड, उत्तरी मैसेडोनिया, पोलैंड, पुर्तगाल, कतर, रवांडा, सिंगापुर, युगांडा और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।