19 मई: मोहिनी एकादशी व्रत आज, खास है इस व्रत का महत्व, जाने शुभ मुहूर्त, कथा व पूजन विधि

आज 19 मई है। आज मोहिनी एकादशी व्रत है। हिन्दू धर्म में इस एकादशी का बहुत अधिक महत्व माना गया है। हिन्दू पंचाग के अनुसार मोहिनी एकादशी का व्रत वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्री विष्णु के निमित्त रखा जाता है। इस बार यह व्रत 19 मई को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि मोहिनी एकादशी को व्रत रखने से जीवन कल्याणमय हो जाता है । आज के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है । इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु का आर्शीवाद प्राप्त होता है। 

तिथि का आरंभ

वैशाख शुक्ल एकादशी तिथि 18 मई को प्रातः 11 : 23 मिनट पर आरंभ होगी और इस तिथि का समापन 19 मई, रविवार को दोपहर 01:50 मिनट पर होगा।

भगवान विष्णु के मोहिनी की होती है पूजा

पौराणिक मान्यताओं  के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन किया गया तो उससे अमृत कलश की प्राप्ति हुई। देवता और दानव दोनों ही पक्ष अमृत पान करना चाहते थे, जिसकी वजह से अमृत कलश की प्राप्ति को लेकर देवताओं और असुरों में विवाद छिड़ गया। विवाद की स्थिति इतनी बढ़ने लगी कि युद्ध की तरफ अग्रसर होने लगी। ऐसे में इस विवाद को सुलझाने और देवताओं में अमृत वितरित करने के लिए भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया। सभी सुंदर स्त्री का रूप देखकर असुर मोहित हो उठे। इसके बाद मोहिनी रूप में विष्णु जी ने देवताओं को एक कतार में और दानवों को एक कतार में बैठ जाने को कहा और देवताओं को अमृतपान करवा दिया। अमृत पीकर सभी देवता अमर हो गए। जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था, उस दिन वैशाख मास की शुक्ल एकादशी तिथि थी। इस दिन विष्णु जी ने मोहिनी रूप धारण किया था, इसलिए इस दिन को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी रूप की पूजा की जाती है।

मोहिनी एकादशी व्रत कथा

पुराणों के अनुसार भद्रावती नामक सुंदर नगर में धनपाल नामक एक धनी व्यक्ति निवास करता था।वे काफी दानपुण्य करने वाला व्यक्ति था उसके पांच पुत्रों में सबसे छोटे बेटे का नाम धृष्टबुद्धि था जो बुरे कामों के लिए अपने पिता का धन खर्च करते रहता था । एक दिन धनपाल ने उससे तंग आकर उसे घर से बाहर निकाल दिया । और इसके बाद धृष्टबुद्धि शोक में डूब गया । और भटकते भटकते वह महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा और महर्षि से बोला मुझ पर दया करके कोई ऐसा उपाय बताएं जिसके पुण्य के प्रभाव से मैं अपने दुखों से मुक्त हो जाऊँ । तब महर्षि कौण्डिल्य बोले कि मोहिनी नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो ।  इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं ।धृष्टबुद्धि ने ऐसा ही किया और मोहिनी एकादशी का व्रत किया। जिसके बाद वह निष्पाप हो गया और विष्णुधाम चला गया।

जाने पूजन विधि

एकादशी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्घ्य दें। भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरुप को मन में ध्यान करते हुए रोली, मोली, पीले चन्दन, अक्षत, पीले पुष्प, ऋतुफल, मिष्ठान आदि भगवान विष्णु को अर्पित करें। फिर धूप-दीप से श्री हरि की आरती उतारें और मोहिनी एकादशी की कथा पढ़ें। इस दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ‘ का जप एवं विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना बहुत फलदायी है। इस दिन भक्तों को परनिंदा, छल-कपट,लालच,द्धेष की भावनाओं से दूर  रहकर,श्री नारायण को ध्यान में रखते हुए भक्तिभाव से उनका भजन करना चाहिए ।द्वादशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें।