नवरात्रि की अष्टमी तिथि का काफी महत्व होता है। इस दिन लोग व्रत खोलने के साथ ही कन्या पूजन भी करते हैं। अष्टमी जिसे महाअष्टमी या दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। ये नवरात्रि का आठवां दिन होता है।
अष्टमी में की जाती है मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा
इस साल महाष्टमी 3 अक्टूबर को है और 4 अक्टूबर को महानवमी मनाई जाएगी। इस दिन नवदुर्गा के आठवें रूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। मां महागौरी पवित्रता और शांति का प्रतीक मानी जाती हैं। महा अष्टमी पर नौ छोटे बर्तन स्थापित किए जाते हैं और उनमें मां दुर्गा की नौ शक्तियों का आह्वान किया जाता है। अष्टमी की पूजा के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। लोग इस दिन कन्याओं की भी पूजा करते हैं, क्योंकि उन्हें मां दुर्गा का दिव्य अवतार माना जाता है।
अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा का महत्व
नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि महागौरी की पूजा करने से शारीरिक व मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है। महागौरी की पूजा से धन, वैभव व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
अष्टमी के दिन कन्या पूजन का महत्व
नवरात्र पर्व पर दुर्गाष्टमी या महाष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है। जिसे कंचक भी कहा जाता है। इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि महागौरी की उम्र भी आठ साल की थी। कन्या पूजन से भक्त के पास कभी भी कोई दुख नहीं आता है और माता अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करती हैं।
अष्टमी पर मां के लिए भोग और अर्पण
दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी को हलवा, पूड़ी,चने और नारियल का भोग अति प्रिय है। मान्यता है इससे भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, साथ ही धन से संबंधित परेशानियां खत्म हो जाती हैं। महाष्टमी के दिन दुर्गा मां की पूजा में 16 श्रृंगार की पूर्ण सामग्री देवी के चरणों में अर्पित करना चाहिए, इससे सौभाग्य में वृद्धि होती है
शनि दोष के प्रभाव को करें कम
मां दुर्गा में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति है. अष्टमी और नवमी तिथि पर शनि की महादशा से मुक्ति पाने के लिए मां भवानी के साथ शनिदेव की भी विधिवत पूजा करें। शास्त्रों के अनुसार इससे शनि देव के अशुभ प्रभाव कम होंगे।
दुर्गा महा अष्टमी पूजा शुभ मुहूर्त 2022
अक्टूबर 2, 2022 को 18:49 से अष्टमी आरम्भ
अक्टूबर 3, 2022 को 16:39 पर अष्टमी समाप्त
मंत्र-
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।