March 29, 2024

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‘कुर्मांचल अखबार‘ के दस वर्ष पूर्ण होने पर रंगीन प्रति का विमोचन और कार्यक्रम का कुलपति प्रो0 नरेंद्र सिंह भंडारी ने किया उद्घाटन

कुमाँऊनी भाषा का पहला साप्ताहिक अखबार ‘कुर्मांचल अखबार‘ के प्रकाशन के 10 वर्ष पूरे होने और उसके 11वें वर्ष में प्रवेश करने के मौके पर पहले रंगीन अंक का विमोचन हुआ।  इस अवसर के मुख्य अतिथि के रूप में सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के माननीय कुलपति प्रो0 नरेंद्र सिंह भंडारी, विशेष आमंत्रित अतिथि रूप में ‘रामकृष्ण कुटीर, अल्मोड़ा के अध्यक्ष स्वामी धु्रवेशानंद महाराज, कार्यक्रम अध्यक्ष रूप में इतिहास विभाग के डाॅ0 वी0 डी0 एस0 नेगी, अखबार के संपादक डाॅ0 चंद्र प्रकाश फुलोरिया, डाॅ0 नवीन भट्ट व शिक्षक श्री रूप सिंह बिष्ट थे।

संपादक डाॅ0 चंद्र प्रकाश फुलोरिया को बधाई दी

अतिथि रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के कुलपति प्रो0 नरेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि ‘कुर्मांचल अखबार‘ को पिछले दस वर्षों से अनवरत प्रकाशित करने के लिए संपादक डाॅ0 चंद्र प्रकाश फुलोरिया को बधाई दी। उन्होंने कहा कि देश-विदेश में रह रहे कुमाउनी समाज के लिए भी यह क्षण उल्लास का है। कुलपति प्रो0 भंडारी ने कहा कि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा द्वारा कुमाउनी भाषा के उन्नयन के लिए पृथक से कुमाउनी भाषा विभाग बनाया गया है। जहां कुमाउनी भाषा को लेकर कार्य आरम्भ हो चुके हैं।  कोविड काल में कुमाउनी भाषा ने अच्छा कार्य किया है। उन्होंने कहा कि हम सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में कुमाउनी भाषा को बढ़ावा देने के लिए विशेष तौर पर कार्य कर रहे हैं। कुमाउनी को लेकर उन्होंने कहा कि हमारी पहचान ही हमारी ‘दुधबोली‘ है। हमारे समाज, संस्कृति को जानने के लिए भाषा महत्वूर्ण होती है। ऐसे ही इस पर्वतीय क्षेत्र को जानने-समझने के लिए दुधबोली बहुत आवश्यक होती है, ऐसे में हम कुमाऊनी भाषा को बढ़ावा दिए जाने के लिए आगे भी कार्य करेंगे। उन्होंने सभी से कुमाउनी को व्यवहार में अपनाने की बात कही। साथ ही उन्होंने कुमाउनी भाषा के विविध पहलुओं पर अपनी बात रखी। 

आंचलिक भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण से ही भारत की सांस्कृतिक  धरोहर को बचाया जा सकेगा

विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में स्वामी धु्रवेशानंद महाराज ने कहा कि आज के समय में आंचलिक भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण से ही भारत की सांस्कृतिक  धरोहर को बचाया जा सकेगा। उन्होंने कुमाउनी भाई-बहनों से कुमाउनी भाषा को संरक्षित करने के लिए कुमाउनी भाषा से जुड़ने की अपील की और कुर्मांचल अखबार की सराहना करते हुए कहा कि लोक को समझने के लिए ‘कुर्मांचल अखबार‘ का योगदान काफी है। सभी इस अखबार के अभियान से जुड़ें।

प्रो0 वी0डी0एस0नेगी ने अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किये

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 वी0डी0एस0नेगी ने कहा कि अत्यंत प्राचीन कुमाउनी भाषा के संरक्षण में ‘कुर्मांचल अखबार‘ का योगदान सराहनीय है। दस वर्षों से निरंतर ‘कुर्मांचल अखबार‘ का प्रकाशन किया जाना डाॅ0 फुलोरिया की जीवटता का परिचायक है। इससे हमारी कुमाउनी भाषा को बल मिला है।

कुमाऊनी भाषा के माध्यम से अपने समाज-संस्कृति को बचा सकते हैं

इस अवसर पर श्रीमती गोदावरी चतुर्वेदी, रंगकर्मी रमेश लाल, योग विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ0 नवीन भट्ट, पत्रकारिता एवं जनसंचार  विभाग के डाॅ0 ललित चंद्र जोशी, रंगकर्मी विमला तिवारी ने कुमाउनी भाषा के संरक्षण में डाॅ0 चंद्र प्रकाश फुलोरिया के संपादन में निकलने वाले ‘कुर्मांचल अखबार‘ के योगदान पर बात रखी।
कुर्मांचल अखबार के संपादक डाॅ0 चंद्र्र प्रकाश फुलोरिया ने ‘कुर्मांचल अखबार‘ के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कुमाउनी के लिए हम सभी का प्रयास होना चाहिए। हम कुमाउनी भाषा के माध्यम से अपने समाज-संस्कृति को बचा सकते हैं। उन्होंने सभी का आभार जताया। 

कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार श्री रूप सिंह बिष्ट द्वारा किया गया

वक्ताओं ने सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के प्रो0 नरेंद्र सिंह भंडारी की सराहना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ने समाज-संस्कृति को समझने के लिए कुमाऊनी भाषा के लिए कार्य करना शुरू किया है। उनके नेतृत्व में कुमाउनी भाषा को नवीन ऊँचाईयां प्राप्त होंगी।
इस अवसर पर रंगकर्मी व संस्कृतिकर्मी श्रीमती विमला तिवारी व उनके दल ने शुगुनाखर का गायन कर सरस्वती वंदना, स्वागत गीत का गायन किया गया। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार श्री रूप सिंह बिष्ट ने किया।

कार्यक्रम में इतने लोग रहे मौजूद

कार्यक्रम में पत्रकार श्री ललित तुलेरा पीयूष कुमार, धर्मवीर, दिव्या जोशी, रेनु गड़िया, राहुल जोशी, चंदन पांडे, यशपाल भट्ट, हिमानी, डाॅ0 लल्लन सिंह, मान्ती दानू, भावना अधिकारी, ललिता तोमक्याल, ज्योति रावत, भावेश पांडे के साथ विश्वविद्यालय के शिक्षक, छात्र-छात्राएं आदि मौजूद रहे।