आज 05 सितंबर 2025 है। ओणम दक्षिण भारत में मनाया जाना वाला बेहद खास त्योहार है। 10 दिनों तक चलने वाला येह त्योहार इस बार 26 अगस्त से शुरू हो चुका है और यह आज 5 सितंबर को समाप्त हो रहा है। ओणम’ या ‘थिरुवोनम’ महोत्सव केरल का खास त्योहार है। यह न सिर्फ दक्षिण भारत के राज्य केरल में बल्कि पूरे विश्व में अब यह त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाने लगा है। बता दें ओणम के पहले दिन यानी ‘अथम’ से ही घर-घर में इस पर्व की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। माना जाता है कि इस दस दिवसीय महोत्सव की शुरुआत राजा महाबली के समय में हुई थी। ओणम का मुख्य पर्व आज 5 सितंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
जाने इसकी मान्यता-
मान्यता है कि इस दिन राजा बलि का आगमन होता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक महाबली नाम का असुर था। वह अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखता था। उसके राज्य के सभी लोग उस असूर की देवता की तरह पूजा करते थे। कहा जाता है कि राजा बलि ने देवराज इंद्र को हराकर इंद्रलोक पर भी अपना कब्जा कर लिया था।राजा बलि के इंद्रलोक में पहुंचने के बाद मदद के लिए देवराज इंद्र भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु इंद्र को उनका इंद्रलोक दिलाने का वादा किया। इसके बाद श्रीहरि वामन अवतार में राज बलि के पास पहुंचे और वचनों के बहाने ने उन्हें लोक छोड़कर पाताल लोक में जाने को कहा। राजा बलि को राज्य में ना देखकर उनकी प्रजा दुखी और परेशान रहने लगी। इसी को देखकर भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह साल में तीन बार अपनी प्रजा से मिलने आ सकते हैं। कहा जाता है कि उसी वक्त से ओणम का पर्व मनाया जाता है।
फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है ओणम
पौराणिक कथा के पीछे की सच्चाई चाहे जो भी हो लेकिन ओणम पिछले कई शताब्दियों से एक भव्य राष्ट्रीय फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता रहा है जिसमें सभी लोग अति उत्साह के साथ भाग लेते हैं। यह त्यौहार ‘अथम’ के चंद्र नक्षत्र से शुरू होता है, जो थिरुवोनम के नक्षत्र से दस दिन पहले पड़ता है। जश्न की तैयारियां ‘अथम’ से शुरू होती हैं। यह थिरुवोनम या ओणम त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस मौके पर अथम से थिरुवोनम तक लोग अपने घरों के सामने वरामदे में अथापोवु (फूलों की सजावट) से रंगोली बनाते हैं। वहीं परिवार के छोटे सदस्यों को उपहार दिए जाते हैं। केले के पत्तों पर स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है जो ओणम पर्व की शोभ बढ़ाता है। इस रंगोली को बनाने में ज्यादातर मुक्कती, कक्का पोवु और चेथी आदि फूलों का उपयोग किया जाता है। मान्यता है कि थुम्बा पू भगवान शिव का पसंदीदा फूल है और राजा महाबली भगवान शिव के एक बड़े भक्त के तौर पर माने जाते हैं।