सर्दी में निमोनिया कोरोना मरीजों के लिए बन रहा घातक, बच्चों और बुजुर्गों के लिए

भारत में कोरोना ने जब दस्तक दी तब सर्दी जा रही थी, लेकिन अब कोरोना सर्दी के मौसम में प्रेवेश कर चुका है। वायरस पर मौसम का प्रभाव नहीं होता, लेकिन सर्दी में कई अन्य ऐसी बीमारियां हैं जो कोविड की संभावना को बढ़ा रही हैं। निमोनिया भी उनमें से एक है। सर्दी के मौसम में कोविड-19 संक्रमित मरीजों में सबसे सामान्य लक्षण निमोनिया का दिख रहा है।

निमोनिया कैसे बन रहा घातक

ऐसे में निमोनिया होने पर समय पर इलाज नहीं लेने के कारण मरीज के निमोनिया से दोनों ही फेफड़ों में श्वसन की थैली में तरल पदार्थ या ड्रॉपलेट की नमी भरने की वजह से सूजन आ रही है, जिसके कारण ऐसे मरीजों को सांस लेने में गंभीर परेशानी आ रही है। इसी कारण कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा देखने को मिल रहा है।

बच्चों और बजुर्गों बन रहे शिकार

ग्वालियर में जेएएच के मेडिसन विभाग के प्रो. डॉ. अजय पाल ने बताया कि पांच साल की उम्र के बच्चों से लेकर बुजुर्गों को कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने का कारण मुख्यत: निमोनिया का समय पर पता नहीं चलना सामने आ रहा है। जिसकी वजह से ही निमोनिया से पीड़ित होने वाले मरीजों को कोविड संक्रमित सबसे अधिक अटैक कर अपना शिकार बना रहा है। निमोनिया का प्रभाव शरीर में बढ़ते ही मरीज के फेफड़े सबसे अधिक संक्रमित होने के मामले अभी तक इलाज के दौरान सामने आ रहे हैं।

कब होती है कोविड की शुरुआत

कोविड एक्सपर्ट चिकित्सकों के अनुसार नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाले इंफेक्शन कोविड-19 की शुरुआत तब होती है, जब श्वसन बूंदों में मौजूद वायरस हमारे शरीर में मौजूद ऊपरी श्वसन पथ में प्रवेश करता है। जैसे-जैसे वायरस की संख्या बढने लगती है, इंफेक्शन फेफड़ों में मौजूद हवा की छोटी-छोटी थैलियों और आसपास के पार्ट्स को नुकसान पहुंचाता है। इस दौरान आपका इम्यून सिस्टम जैसे ही वायरस से लड़ना शुरू करता है, फेफड़ों में तरल पदार्थ और मृत कोशिकाओं की संख्या बढ़ने लगती है। इससे मरीज को सांस लेने में सबसे अधिक परेशानी होने के साथ मरीज का स्वास्थ्य तेजी से बिगड़ने लगता है।