March 29, 2024

Khabribox

Aawaj Aap Ki

कवि सुमित्रानंदन पंत की जयंती आज: जानें उनकी काव्य यात्रा

हिंदी साहित्य में छायावादी युग के प्रमुख स्तंभ, उच्च मानवीय आदर्शों को साहित्य की कोमलतम भावनाओं में गूँथने वाले रचनाकार एवं पद्मभूषण, ज्ञान पीठ और साहित्य अकादमी पुरस्कारों से सम्मानित महान कवि  सुमित्रानंदन पंत की आज  जयंती है । सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई, 1900 को उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के कौसानी नामक ग्राम में हुआ था। बाल्यकाल में ही उनकी मां का देहांत हो गया था। ऐसे में जननी का स्थान प्रकृति ने ले लिया और उसी की स्नेहछाया में वे आगे बढ़े। उनके बचपन का नाम गोसाईंदत्त था। गांव में प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे अल्मोड़ा आए। अल्मोड़ा में ही दस वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना नाम गोसाईंदत्त से बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया। इतनी छोटी अवस्था में ऐसा नामकरण उनकी सृजनशीलता का परिचय देता है।

सुमित्रानंदन पंत की काव्य यात्रा

सुमित्रानंदन पंत किशोरावस्था में ही कविता के सौंदर्य की ओर आकृष्ट हो गए थे। उनकी प्रारंभिक रचनाओं की केंद्र बिंदु प्रकृति है। उन्होंने सरिता,पर्वत,मेघ, झरना, वन, समेत विभिन्न प्राकृतिक बिम्ब के प्रयोग से कविता को नया आयाम दिया। वर्ष 1926 को “पल्लव” नामक उनका पहला काव्य संकलन प्रकाशित हुआ। इसी तरह उनकी अन्य रचनाओं में, वीणा, गुंजन, ग्राम्या,अणिमा, युगांत और लोकयतन सम्मिलित हैं। सुमित्रानंदन पंत को उनकी कृति “चिदम्बरा” के लिए ज्ञानपीठ और “कला और बूढ़ा चांद” के लिए 1969 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सुमित्रानंदन पंत का प्रकृति प्रेम अद्भुत है। प्रकृति उनके लिए धात्री, सहोदरा, सहगामिनी से लेकर उपदेशिका तक सर्वस्व है।

प्रयागराज में हुआ निधन

प्रकृति एवं अनुभूति कवि सुमित्रानंदन पंत का 28 दिसम्बर 1977 को प्रयागराज में निधन हो गया।