अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रोफेसर माला मिश्र सम्मानित

यूनियन बैंक  स्टाफ प्रशिक्षण केंद्र ,गुड़गांव में कार्यशाला के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस  का सुंदर आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य विषय था। “महिलाओं की सामाजिक ,आर्थिक और व्यावसायिक चुनौतियां “इस कार्यक्रम में दिल्ली तथा देश भर से बहुत सारे प्रतिभागी व अधिकारी ,शाखा प्रबंधक ,क्षेत्रीय प्रबंधक ,मुख्य प्रबंधक उपस्थित थे।कार्यक्रम में बीज वक्तव्य क्षेत्रीय प्रबंधक  बीना वाहिद ने  दिया।कार्यक्रम का सुंदर संचालन रोमा के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में समाज , स्त्री शिक्षा ,साहित्य ,पत्रकारिता और राष्ट्र के विकास में सक्रिय योगदान देने वाली दिल्ली विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफेसर माला मिश्र को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया और  अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सम्मानित किया गया।सम्मान के रूप में अंग – वस्त्र ,पौधा ,पुस्तक ,प्रतीक चिन्ह इत्यादि क्षेत्रीय बैंक प्रबंधक के द्वारा उपहार स्वरूप प्रदान किये गये।

प्रोफेसर माला मिश्र की उपलब्धियों एवं सक्रिय गतिविधियों का विस्तृत आख्यान किया गया

कार्यक्रम में प्रोफेसर माला मिश्र की उपलब्धियों एवं सक्रिय गतिविधियों का विस्तृत आख्यान किया गया और उनको आमंत्रित तथा सम्मानित करने को बैंक समुदाय द्वारा गौरवपूर्ण बताया गया।बीना वाहिद ने बैंकिंग के क्षेत्र की चुनौतियों की चर्चा की और महिलाओं के सशक्तिकरण का मुद्दा उठाया।भास्करराव जी ने महिलाओं के सार्थक प्रयासों पर प्रकाश डाला ।गोविंद मिश्र  ने भारतीय परंपराओं में स्त्री की भूमिका के विषय में सटीक बातें रखीं। सतीश पाठक नई ने स्त्रियों की जरूरतों के बारे में सार्थक बातचीत की।सुनील जी ने कार्यक्रम के औचित्य पर विचार व्यक्त किये।देवव्रत पांडेय  ने स्त्रियों की जीवन शैली पर गंभीर  टिप्पणियां प्रस्तुत कीं। देवव्रत दास  ने स्त्री की रचनात्मकता पर बात की।

स्त्री मूल प्रवृत्ति और प्रकृति से मातृस्वरूपा है

प्रोफेसर माला मिश्र ने सपनी चिर परिचित ओजस्वी शैली में कहा स्त्री मूल प्रवृत्ति और प्रकृति से मातृस्वरूपा है।उसके सम्मान की रक्षा होगी तो  परिवार  ,समाज  और राष्ट्र समृद्ध ,सुखी ,संतुलित और विकसित होगा।क्योंकि स्त्री किसी भी परिवार की आत्मा है  ,केंद्रीय धुरी है , संचालिका है , प्रबंधक है ।उन्होंने कहा मैं ,मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है।समस्त चुनौतियों और प्रतिकूलताओं के बावजूद स्त्री सशक्त हो रही है ,सुदृढ़ बन रही है ,आत्मनिर्भरता उसकी सबसे बड़ी सफलता है और यही उसके सशक्तिकरण का अचूक मंत्र।समाज की मानसिकता में बदलाव से ही स्त्री पुरुष मिलकर स्वस्थ और संतुलित समरस समाज की स्थापना कर सकते हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्त्री सशक्तिकरण के आदर्श उदाहरण

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर यह संदेश ही सबसे उपयोगी बीजमंत्र होगा।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू स्त्री सशक्तिकरण के आदर्श उदाहरण है।प्रतिभागियों में सकरतमस्क ऊर्जा का संचार करके प्रसन्न सत्र के सार्थक समायोजन के साथ यश कार्यशाला और सम्मान समारोह सम्पन्न हुए।