भीषण गर्मी, खुली व तपती छत, एक बुजुर्ग मां की रूला देने वाली कहानी

एक मां जो अपने बच्चों को हर मुश्किलों से बचाती है। उन पर एक आंच नहीं आने देती है। नौ महीने अपने पेट में रखती है। दुनिया में आने पर उसे हर बुराईयों से बचाने की कोशिश करती है। लेकिन जब वहीं बच्चे बुढ़ापे में पैसों के अंधेपन में उसी मां को नजरंदाज कर दें। उसकी सारी लुटाई ममता भूल जाएं। इस कलयुग में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। यह घटना मध्यप्रदेश की है।

तपती धूप में जीवन गुजार रहीं थीं वृद्धा महिला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्य प्रदेश के जबलपुर से यह मामला सामने आया है। जिसे जिसने भी सुना उसकी आंखों से आंसू आ जाए। अप्रैल का महीना है। यहां भीषण गर्मी अपने रिकॉर्ड तोड़ रहीं हैं। ऐसे में एक 95 वर्षीया बुजुर्ग मां को उसके अपने बेटे और पोते ने ठंड बरसात हो या भीषण गर्मी सभी मौसम में खुले आसमान के नीचे छोड़ दिया। बुजुर्ग के पास एक पुरानी खाट, एक फटी हुई तिरपाल और कुछ टूटे-फूटे बर्तन है। जिसके सहारे वह बुजुर्ग महिला अपने दिन काट रहीं हैं। इतना ही नहीं वो बासी रोटियों और गंदे पानी के सहारे अपने जीवन के अंतिम पड़ाव जी रहीं हैं। जब कॉलोनी वासियों ने वृद्धा को देखा तो उनका दिल कांप उठा। लेकिन डर और असहायता के कारण खुलकर सामने नहीं आए।

गुमनाम पत्र से सामने आई घटना

रिपोर्ट्स के मुताबिक आखिरकार, एक गुमनाम पत्र के जरिये कलेक्टर दीपक सक्सेना को इस घटना की सूचना दी गई। इस पत्र में लिखा था “माँ को आग की भट्टी में झोंक दिया गया है। वे छत पर जलती हुई जमीन पर बैठी हैं। नन्हीं सी छांव भी नसीब नहीं।” जिसके बाद इस पर शीघ्र एक्शन लिया. तहसीलदार और पुलिस टीम को भेजा गया। जब टीम वहां पहुंची तो एक कांपती, डरी-सहमी बूढ़ी मां फटी हुई तिरपाल के नीचे सिकुड़ी बैठी थी। टीम रेस्क्यू करने पहुंची तो पोते और बहु ने मना कर दिया कि कुछ भी ऐसा नहीं है। लेकिन जब अधिकारियों ने ऊपर जाकर देखा तो हैरान करने वाला दृश्य देखा। पुलिस ने तुरंत वृद्धा को रेस्क्यू किया और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। पड़ोसियों की मांग पर उसे वृद्धाश्रम में रखने की प्रक्रिया शुरू की गई है।