28 सितंबर: कल्परंभ आज, है खास महत्व, देवी दुर्गा के “अकाल बोधन” या असामयिक आवाहन का प्रतीक, जानें शुभ मुहूर्त

आज 28 सितंबर को कल्परंभ है। कल्परंभ शारदीय नवरात्रि के षष्ठी तिथि के दिन किया जाने वाला एक अनुष्ठान है, जिसका अर्थ है ‘काल (समय) का प्रारम्भ’। यह देवी दुर्गा के “अकाल बोधन” या असामयिक आवाहन का प्रतीक है, जो देवी को नींद से जगाकर उन्हें धरती पर आने और पूजा स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करता है।

खास है महत्व

कल्पारम्भ पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा अनुष्ठानों के शुभारम्भ का प्रतीक है। कल्पारम्भ पूजा को कोलाबोऊ पूजा जिसे नवपत्रिका पूजा के नाम से भी जाना जाता है, से एक दिन पहले किया जाता है। अधिकांश वर्षों में, कल्पारम्भ का दिन चन्द्र माह की षष्ठी तिथि पर आता है।
2025 में कल्पारंभ की तिथि दुर्गा पूजा के पहले दिन से जुड़ी हुई है, जो इस वर्ष 28 सितंबर 2025 है, जब षष्ठी तिथि शुरू होती है और कल्पारंभ अनुष्ठान किया जाता है। कल्पारंभ दुर्गा पूजा का वह महत्वपूर्ण क्षण होता है जब देवी दुर्गा की पूजा विधिवत रूप से शुरू होती है, जिसमें बिल्व निमंत्रण, अकाल बोधन और अन्य अनुष्ठान शामिल हैं।

शुभ मुहूर्त

जिसमें देवी दुर्गा का आवाहन करने का सबसे अच्छा समय सायंकाल है, जो सूर्यास्त से लगभग 2 घण्टे 24 मिनट पहले का समय होता है।