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आज शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरुप देवी ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है।
आज होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-
नवरात्रि के दूसरे दिन 8 अक्टूबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां के नाम का पहला अक्षर ब्रह्म है जिसका अर्थ है होता है तपस्या और चारिणी का मतलब होता है आचरण करने वाली, यानी ये देवी तप का आचरण करने वाली हैं।
इनकी पूजा के दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है-
इनका का स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है। इनके वस्त्र श्वेत हैं। मां ब्रह्मचारिणी अपने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण करती हैं। इनकी पूजा के दिन साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित होता है। इनकी आराधना से तप, संयम, त्याग व सदाचार जैसे गुणों की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से धैर्य प्राप्त होता है और मनुष्य कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपने कर्त्तव्य से विचलित नहीं होता है, उसे विजय की प्राप्ति होती है।
माँ की पूजा अराधना-
सर्वप्रथम देवी को पंचामृत से स्नान कराएं, इसके बाद इन्हें पुष्प,अक्षत, कुमकुम, व सिंदूर आदि चीजें अर्पित करें। देवी ब्रह्मचारिणी को को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाने चाहिए। इन्हें मिश्री या सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। तत्पश्चात मां की आरती करें। आरती संपन्न होने पर अपने हाथों में पुष्य लेकर माता रानी का ध्यान करें और इस मंत्र का उच्चारण या जाप करें।
या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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