नवरात्रि की नवमी 14 अक्टूबर यानी आज है और ये नवरात्रि पूजा का आखिरी दिन माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने के बाद हवन किया जाता है। नवरात्रि की महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। कई लोग नवमी के दिन कन्या पूजन भी करते हैं।
आइये जानते हैं महानवमी की व्रत कथा, पूजा विधि, कन्या पूजन का तरीका व अन्य जानकारियां-
महानवमी की व्रत कथा
नवरात्रि की नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री के नाम का व्रत रखकर विधि विधान से उनकी पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन देवी दुर्गा ने असुरों के राजा महिषासुर का वध करके देवी देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। वे महिषासुरमर्दिनी या महिषासुर के संहारक के रूप में भी विख्यात हैं।
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
महानवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर साफ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद मां सिद्धिदात्री की पूजा शुरू करें। मां को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के फूल-फल आदि चढ़ाएं। फिर धूप-दीप दिखाकर उनकी आरती उतारें। मां के बीज मंत्रों का जाप करें। माना जाता है कि माँ के इस स्वरूप की अराधना करने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं।
नवमी कन्या पूजन की विधि
नवमी के दिन शुभ मुहूर्त में नवमी पूजा करने के बाद कन्या पूजन किया जाना चाहिए। ये कन्याएं मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक होती हैं। कन्या पूजन में सबसे पहले कन्याओं के पैर धोएं। संभव हो तो उन्हें लाल रंग के वस्त्र भेंट करें। फिर उनके माथे पर कुमकुम लगाएं। हाथ में कलावा बांधें। फिर सभी कन्याओं और एक बालक को भोजन कराएं। ध्यान रखें कि भोजन में हल्वा, पूड़ी और चना जरूर शामिल करें। क्योंकि ये भोजन माता का प्रिय माना जाता है। फिर श्रद्धानुसार भोजन कराकर सभी कन्याओं का पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। अगर नौ कन्याओं का पूजन संभव न हो तो दो कन्याओं का पूजन भी किया जा सकता है।
महानवमी में करें इन मंत्रों का उच्चारण
* ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
* या देवी सर्वभूतेषु सिद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम: ।।