प्रधानमंत्री बोले ‘दुनिया बुद्ध की शिक्षा को जितना अधिक अपनाएगी और मनुष्यता जितनी समृद्ध होगी, दुनिया में उतनी ही अधिक सफलता और खुशहाली होगी’

आज आषाढ़ पूर्णिमा- धम्म चक्र दिवस पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि कोरोना महामारी के इस दौर में भगवान बुद्ध के संदेश पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। उन्होंने कहा है कि भगवान बुद्ध ने सबसे कठिन चुनौतियों से मुक्त होने का मार्ग प्रशस्त किया है।

पूरी दुनिया भगवान बुद्ध की शिक्षा का अनुसरण कर एकसाथ आगे बढ़ रही है

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया भगवान बुद्ध की शिक्षा का अनुसरण कर एकसाथ आगे बढ़ रही है। श्री मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ की केयर विद प्रेयर पहल प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि हमारे मन, वचन, संकल्प और कर्म के बीच तारतम्य रहने से ही हम दुख से मुक्त हो सकते हैं और जीवन में प्रसन्नता आ सकती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे सत्कर्म करने की प्रेरणा मिलती है और कठिन परिस्थिति से मुकाबले के लिए शक्ति प्राप्त होती है।

मनुष्यता जितनी समृद्ध होगी, दुनिया में उतनी ही अधिक सफलता और खुशहाली होगी

प्रधानमंत्री ने धम्म पद की चर्चा करते हुए कहा कि शत्रुता का समाधान शत्रुता से नहीं, बल्कि प्रेम और सहृदयता से ही संभव है। उन्होंने कहा कि संकट की इस घड़ी में पूरी दुनिया ने प्रेम और सौहार्द की शक्ति को पहचाना है। श्री मोदी ने कहा कि दुनिया बुद्ध की शिक्षा को जितना अधिक अपनाएगी और मनुष्यता जितनी समृद्ध होगी, दुनिया में उतनी ही अधिक सफलता और खुशहाली होगी।

त्याग और धैर्य की बुद्ध की शिक्षा शब्द मात्र नहीं है, बल्कि इसी से धर्म की शुरूआत होती है

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा  कि भगवान बुद्ध ने सम्यक जीवन के लिए ही अष्टांगिक मार्ग बताये थे। श्री मोदी ने कहा कि त्याग और धैर्य की बुद्ध की शिक्षा शब्द मात्र नहीं है, बल्कि इसी से धर्म की शुरूआत होती है और ज्ञान जन कल्याण का पर्याय बनता है।