आज 21 जून है। आज के दिन निर्जला एकादशी का व्रत भी है। यह एकादशी सभी एकादशी में सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। वही साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। हर माह में दो बार एकादशी पड़ती है।
24 एकादशी व्रत के बराबर मिलता है फल-
आज निर्जला एकादशी व्रत है। निर्जला एकादशी का व्रत करने से 24 एकादशी व्रत के बराबर फल मिलता है। इस व्रत के नियमानुसार निर्जला एकादशी के व्रत में स्नान और आचमन के सिवा पूरे दिन जल का त्याग करना पड़ता है। इसे पाण्डव एकादशी या फिर भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
आइये जाने निर्जला एकादशी व्रत की कथा-
यह घटना महाभारत की है जब पाण्डव अज्ञातवास के दौरान ब्राह्मणों के रूप में रह रहे थे। सभी पाण्डव नियमित रूप से एकादशी का व्रत रखते थे परन्तु भीमसेन से भूख बर्दाश्त नहीं होती थी। भीम सही तरीके से व्रत पूरा नहीं कर पाते थे, इससे भीम के मन में बहुत ग्लानि होने लगी। उन्होनें इस समस्या का हल निकालने के लिए महर्षि वेद व्यास जी का स्मरण किया। अपनी समस्या व्यास जी के सामने रखी। व्यास जी ने भीम को पुराणों में वर्णित निर्जला एकादशी के बारे में बताया और कहा कि निर्जला एकादशी का व्रत सभी एकादशियों के व्रत में सबसे कठिन है परन्तु इसको पूरा करने से सभी एकादशियों के व्रत का फल एक साथ मिल जाता है। वेदव्यास जी के कहने पर महाबली भीमसेन भी इस व्रत को करने लगे, इसीलिए इस एकादशी को भीमसेन एकादशी या भीम एकादशी भी कहा जाता है।
निर्जला एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करनी चाहिए और निर्जला एकादशी व्रत कथा का पाठ करना चाहिए। इस कथा का पाठ करने से व्रत का फल जरूर मिलता है। आज भक्त बिना खाए और बिना जल ग्रहण किए निर्जल रहकर व्रत कर रहे हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो जातक यह व्रत करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और यश, वैभव और सुख की प्राप्ति होती है और ग्रह दोष भी शांत होता है। इस व्रत के प्रभाव से अनजाने में किए गए पाप कट जाते हैं।
जाने इस व्रत का शुभ मुहूर्त-
आज 21 जून 2021 को निर्जला एकादशी व्रत है। इस व्रत का शुभारंभ 20 जून, रविवार को शाम 4 बजकर 21 मिनट से शुरू और समापन 21 जून, सोमवार को दोपहर 1 बजकर 31 मिनट तक है।