उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ने खुद इसकी घोषणा की है। इस बोर्ड का लंबे समय से विरोध हो रहा था और तीर्थ-पुरोहित इसे भंग करने की मांग पर आंदोलन कर रहे थे।
क्यों हुआ देवस्थानम बोर्ड का विरोध??
देवस्थानम बोर्ड का गठन जनवरी 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया था। इस बोर्ड के गठन के जरिए 51 मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था। उत्तराखंड में केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ चार धाम हैं। इन चारों धामों का नियंत्रण भी सरकार के पास आ गया था। तब से ही तीर्थ-पुरोहित इस फैसले को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए थे। इस साल जुलाई में पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने। उन्होंने तीर्थ-पुरोहितों की मांग पर एक कमेटी का गठन किया था और उसकी रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने का वादा किया था। देवस्थानम बोर्ड को लेकर तीर्थ-पुरोहितों ने नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे का विरोध भी किया था। हालांकि, मुख्यमंत्री के समझाने के बाद पुरोहित मान गए थे।