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उत्तराखंड: गौरेया की लगातार संख्या में कमी देखी जा रही है । इसकी कमी को देखते हुए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) और बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) के सहयोग से वन विभाग सर्वे करेगा । सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर गौरेया के संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाये जाएंगे ।
आज तक गौरेया के लिए नहीं हुआ सर्वे
जेएस सुहाग (मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक एवं सीईओ उत्तराखंड कैंपा) का कहना है कि प्रदेश में गौरैया को लेकर आज तक कोई सर्वे नहीं हुआ । अब कराए जा रहे सर्वे में यह पता लगेगा कि यहां गौरैया की स्थिति क्या है, किन-किन क्षेत्रों में इस पक्षी प्रजाति की संख्या में कमी देखी गई है और कहां अधिकता है। कमी के मुख्य कारण क्या हैं। सर्वे रिपोर्ट मिलने बाद गौरैया आश्रय स्थलों के साथ ही इसके संरक्षण को कदम उठाए जाएंगे। इसके केंद्र सरकार ने प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) के तहत पांच करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है ।
इन वजह से हो रहा सर्वे
बेजोड़ पक्षी विविधता वाले उत्तराखंड में भले ही परिंदों की लगभग सात सौ प्रजातियां पाई जाती हों, मगर यह भी सच है कि गौरैया की संख्या में लगातार कमी देखी जा रही है। पिछले साल लाकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्रों में घरों व उसके आसपास इस पक्षी ठीक-ठाक संख्या दिखने लगी थी, मगर अब स्थिति पहले जैसी हो गई। जिसके चलते वन विभाग ने प्रदेश में गौरैया की स्थिति और इसकी संख्या में कमी के कारणों की पड़ताल को सर्वे कराने का निर्णय लिया गया है ।
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