उत्तराखंड: मरने के बाद दुनिया देखेगी खुशी की आंखें, पिता ने उठाया सराहनीय कदम

नेत्रदान एक बहुत बड़ा दान‌ होता है। एक व्यक्ति के नेत्रदान करने से दो दृष्टिहीन व्यक्तियों के जीवन में राेशनी आ सकती है। नेत्रदान कोई भी किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है। एक ‌व्यक्ति द्वारा दान किए गए उसके नेत्र से किसी अन्य व्यक्ति की जींदगी रोशनी से भर जाती है।

नेत्रदान एक महादान

ऐसी ही एक खबर सामने आई है। यह खबर हरिद्वार से सामने आई है। यहां एक पिता ने मरने के बाद अपनी बेटी की आंखें दान की है। बीमारी के चलते खुशी अरोड़ा 19 वर्षीय का मंगलवार की रात निधन हो गया। जिसके बाद पिता अजय अरोड़ा ने बेटी की आंखें दान करने का फैसला किया। अब खुशी की आंखें मरने के बाद भी इस दुनिया को देखेंगी। यह एक सराहनीय कदम है। जिसकी शहर का हर आदमी आज भी उनके इस काम की सराहना कर रहा है।