उत्तराखंड: पंचकोसी वारुणी यात्रा में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब,यात्रा में शामिल होने मात्र से मिलता है अश्वमेध यज्ञ कराने जैसा लाभ

पंचकोसी वारुणी यात्रा पड़ाव पर विभिन्न मंदिर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए सजे । कल एक दिवसीय पंचकोसी यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। पंचकोसी वारुणी यात्रा एक दिन की होती है, जो वरुणा और भागीरथी के संगम बड़ेथी से शुरू होती है। इस पंचकोसी यात्रा में गंगा स्नान करने के बाद भक्त पद यात्रा के लिए निकल पड़ते हैं। कहा जाता है कि इस यात्रा को पूर्ण करने वाले व्यक्ति को 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा-अर्चना का पुण्य लाभ मिलता है। इस एक यात्रा में शामिल होने से अश्वमेध यज्ञ कराने जैसा लाभ मिलता है।

पद्म पुराण में मिलता है धार्मिक यात्रा का उल्लेख

प्राचीन काल से चली आ रही इस धार्मिक यात्रा का उल्लेख पद्म पुराण में मिलता है। वरुणावत पर्वत को भगवान का निवास स्थान माना जाता है। पुराणों में यहां भगवान परशुराम एवं महर्षि वेदव्यास द्वारा तपस्या किए जाने का उल्लेख है। उपवास रखकर नंगे पैर पैदल पंचकोसी वारुणी यात्रा करने से मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही सौ यज्ञों का पुण्य फल प्राप्त होता है।

होली के 11 दिन बाद चैत्र मास की त्रियोदशी के दिन इस यात्रा का होता है शुभारंभ

कुछ लोग नंगे पैर तो कुछ व्रत कर इस यात्रा को शुरू करते हैं।  होली के 11 दिन बाद चैत्र मास की त्रियोदशी से इस यात्रा का शुभारंभ होता है। करीब 15 किमी लंबी इस पद यात्रा के पथ पर श्रद्धालु बड़ेथी संगम स्थित वरुणेश्वर, बसूंगा में अखंडेश्वर, ज्ञाणजा में ज्ञानेश्वर और व्यास कुंड, वरुणावत शीर्ष पर शिखेरश्वर, विमलेश्वर महादेव, संग्राली में कंडार देवता, पाटा में नरवदेश्वर मंदिर के दर्शन के बाद गंगोरी पहुंचते हैं।करीब 15 किमी लंबी इस पद यात्रा के पथ पर श्रद्धालु बड़ेथी संगम स्थित वरुणेश्वर, बसूंगा में अखंडेश्वर, ज्ञाणजा में ज्ञानेश्वर और व्यास कुंड, वरुणावत शीर्ष पर शिखेरश्वर, विमलेश्वर महादेव, संग्राली में कंडार देवता, पाटा में नरवदेश्वर मंदिर के दर्शन के बाद गंगोरी पहुंचते हैं।