उत्तराखंड: कुमाऊंनी व गढ़वाली समेत प्रदेश की अन्य बोलियों में उत्कृष्ट साहित्य सृजन व साहित्य सेवा करने वालों को मिलेगा उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को  उत्तराखण्ड भाषा संस्थान की बैठक में प्रतिभाग करते हुए कुमाऊँनी, गढ़वाली समेत प्रदेश की अन्य बोलियों व उपबोलियों व पंजाबी एवं उर्दू में उत्कृष्ट साहित्य सृजन व साहित्य सेवा करने वालों को उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान प्रदान करने की घोषणा की।

हिंदी में 4 नवोदित उदयीमान लेखकों को भी प्रतिवर्ष किया जाएगा सम्मानित

उन्होंने हिन्दी में उत्कृष्ट महाकाव्य/खण्डकाव्य, कथा साहित्य व अन्य गद्य विधाओं के लिए भी प्रतिवर्ष उत्तराखण्ड साहित्य गौरव सम्मान प्रदान करने की घोषणा की। इसके साथ ही गढ़वाली, कुमाऊँनी व जौनसारी लोक बोली तथा हिंदी में 4 नवोदित उदयीमान लेखकों को भी प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के ऐसे रचनाकारों, जो अर्थाभाव के कारण अपनी पुस्तकों का प्रकाशन नही करा पाते हैं, उन्हें उत्तराखण्ड भाषा संस्थान द्वारा आर्थिक सहायता के रूप में आंशिक अनुदान दिए जाने के प्रस्ताव पर भी स्वीकृति दी।मुख्यमंत्री ने प्रत्येक जनपद में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय भाषा सम्मेलन आयोजन करने के निर्देश देते हुए कहा कि यह भाषा संस्थान की एक बहुआयामी योजना होगी जिसमें शोध पत्रों का वाचन, भाषा संबंधी विचार विनिमय, साहित्यिक शोभा यात्रा, लोक भाषा सम्मेलन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

01 प्राथमिक विद्यालय में डिजिटल/ई पुस्तकालय स्थापित करने के भी निर्देश दिए

मुख्यमंत्री  धामी ने राज्य के प्रत्येक जनपद के 01 प्राथमिक विद्यालय में डिजिटल/ई पुस्तकालय स्थापित करने के भी निर्देश दिए। बैठक में राज्य में नेशनल बुक ट्रस्ट के साथ मिलकर पुस्तक मेले का आयोजन तथा पुस्तक मेले में साहित्यिक संगोष्ठियों के आयोजन पर भी स्वीकृति दी गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी लोक भाषाएं एवं बोलियां हमारी पहचान और गौरव है। राज्य सरकार स्थानीय भाषाओं, बोलियों व संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए निरन्तर प्रयासरत है।

बैठक में उपस्थित रहे

बैठक में भाषा मंत्री सुबोध उनियाल, सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी, अपर सचिव एवं निदेशक उत्तराखण्ड भाषा संस्थान  स्वाति भदौरिया, सदस्य डॉ. सुलेखा डंगवाल आदि मौजूद रहे।