उत्तराखंड: वैश्विक वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर उभर रहा शिव- पार्वती का विवाह स्थल त्रिजुगीनारायण मंदिर, जानें मंदिर से जुड़ी खास मान्यता

उत्तराखंड से जुड़ी खबर सामने आई है। उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित है शिव- पार्वती का विवाह स्थल त्रिजुगीनारायण मंदिर। यह मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर अपनी दिव्य धार्मिक मान्यताओं, अनूठी स्थापत्य शैली, और अखंड धूनी (शाश्वत अग्नि) के लिए जाना जाता है।

त्रिजुगीनारायण मंदिर में बड़ी संख्या विवाह को पंहुच रहें लोग

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मंदिर वैश्विक वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर उभर रहा है। जहां देश विदेश से लोग सनातन परम्पराओं के अनुसार विवाह करने के लिए पहुंच रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक शादियों के सीजन में अब यहां हर महीने 100 से अधिक शादियां हो रही हैं। जिसमे इस साल में अब तक यहां 500 से ज्यादा शादियां हो चुकी है। जिससे यहां होटल कारोबारियों से लेकर पंडे पुजारियों, वेडिंग प्लानर, मांगल टीमों और ढोल दमौ वादकों सहित कई अन्य लोगों को काम मिल रहा है।

भगवान शिव और देवी पार्वती का संपन्न हुआ था विवाह

त्रिजुगीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार त्रियुगीनारायण मंदिर वह स्थान है जहाँ देवताओं ने स्वयं भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का उत्सव मनाया था। माना जाता है कि मंदिर में अखंड ज्योति उनकी शादी के समय जलाई गई थी और यह दिव्य आशीर्वाद के प्रतीक के रूप में जलती रहती है। स्वयं भगवान विष्णु ने इस विवाह में देवी पार्वती के भाई (कन्यादान कर्ता) का कर्तव्य निभाया था। मंदिर में सदियों से जल रही अखंड धूनी (शाश्वत अग्नि) है, जो मंदिर के धार्मिक महत्व को और भी बढ़ाती है और भक्तों को आकर्षित करती है।