उत्तराखंड:केंद्रीय रक्षा मंत्री द्वारा 3 पुलों का वर्चुअल लोकार्पण किया गया

केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखण्ड के 3 पुलों का वर्चुअल लोकार्पण किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने भी वर्चुअल माध्यम से प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा कुल 24 पुल और 3 सड़कों का लोकार्पण किया गया।रक्षा मंत्री द्वारा उत्तराखण्ड के तवाघाट- घतिया बगड़ को जोड़ने वाला घस्कू पुल, जौलजीबी मुनस्यारी को जोड़ने वाले गौरी गाढ पुल, सेमली ग्वालदम को जोड़ने वाला बदामगढ़ पुल का लोकार्पण किया गया।

उत्तराखण्ड और यहाँ के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को इसका लाभ मिलेगा

रक्षा मंत्री ने बधाई देते हुए कहा कि शून्य से नीचे के तापमान और अत्यधिक ऊंचाई की अनेक चुनौतियों के बावजूद बीआरओ कार्मिकों द्वारा निर्मित सड़कों, टनल और पुलों ने आज स्थानों के बीच की दूरी और समय बहुत कम कर दिया है। केंद्र ने सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की जरूरतों का ध्यान रखा है।
मुख्यमंत्री श्री धामी ने कहा कि बीआरओ द्वारा निर्मित सड़कें और पुल, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी
जी के आत्मनिर्भर भारत के विजन को पूरा करते हैं। उत्तराखण्ड और यहाँ के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों को इसका लाभ मिलेगा।

सीमावर्ती पर्वतीय इलाकों में 24 पुल और सड़कें राष्ट्र को समर्पित

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को देश के सीमावर्ती पर्वतीय इलाकों में बनाए गए 24 पुल और सड़कें राष्ट्र को समर्पित कीं। सीमावर्ती क्षेत्रों में बनाए गए इन पुलों और सड़कों से सैन्य गतिविधियां आसान होंगी। सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें न केवल सामरिक जरूरतों के लिए होती हैं, बल्कि राष्ट्र के विकास में, दूरदराज के क्षेत्रों की भी बराबर भागीदारी सुनिश्चित करती हैं। ये पुल, सड़कें और सुरंगें हमारी सुरक्षा और संपूर्ण राष्ट्र को सशक्त करने में अपनी अहम भूमिका निभाती हैं।

राष्ट्र सेवा में समर्पित

राष्ट्र की सेवा में समर्पित किये गए 24 पुलों में 05 केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में, 09 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में, 03 उत्तराखंड में, 05 हिमाचल प्रदेश में, 01 अरुणाचल प्रदेश में और 01 सिक्किम में फ्लैग-हिल-डोकला रोड पर बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि आज के युग में दूरी किलोमीटर में नहीं, घंटे में नापी जाती है। बीआरओ की सड़कों, सुरंगों और पुलों ने आज स्थानों के बीच की दूरी और समय बहुत कम कर दिया है। आज राष्ट्र को समर्पित की गईं सड़कों में से सबसे महत्वपूर्ण चिसुमले-डेमचॉक है।

सशस्त्र बलों की आवाजाही तेज होगी

रक्षा मंत्री ने कहा कि इन सड़कों और पुलों से न केवल इस क्षेत्र में सशस्त्र बलों की आवाजाही तेज होगी बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। दक्षिणी लद्दाख में 19 हजार फीट से भी अधिक की ऊंचाई पर बनी उमलिंग-ला दर्रे की सड़क अब दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क बन चुकी है। इसका निर्माण करके बीआरओ ने भारत के कद को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। शून्य से नीचे के तापमान और अत्यधिक ऊंचाई की अनेक चुनौतियों के बावज़ूद बीआरओ कर्मियों के धैर्य, दृढ़ संकल्प और उनकी कर्मठता ने यह ऐतिहासिक काम कर दिखाया है। यह न केवल बीआरओ के लिए, बल्कि राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है।