उत्तराखंड: सेवानिवृत्त होने के बाद पकड़ में आया शिक्षक का फर्जीवाड़ा, अदालत ने दिया सात साल का कठोर कारावास

शैक्षिक भ्रष्टाचार से जुड़ा एक और पुराना मामला प्रकाश में आया है जिसमें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षा विभाग में अध्यापक की नौकरी हासिल करने वाले सेवानिवृत्त आरोपी को  अदालत ने सजा सुनाई है।

सेवानिवृत्त होने के बाद सामने आई फर्जी शिक्षक की करतूत

यूपी बिजनौर ग्राम रामपुर रसरपुर पोओ सिंदरपुर निवासी हरिओम सिंह पुत्र खुशीराम की अपनी प्रथम नियुक्ति व शिक्षा विभाग में दिये गये दस्तावेजों में एकरूपता नहीं है। प्रथम नियुक्ति के दौरान कुछ वांधित अभिलेख भी प्रस्तुत नहीं किए थे। इसके बाद भी प्रावि सेंदूल जौनपूर टिहरी गढ़वाल में पहली नियुक्त ले ली। 31 मार्च 2016 को राप्रावि डांगू जौनपूर टिहरी गढ़वाल से हरिओम सिंह सेवानिवृत हुए। शिकायत पर शिक्षा विभाग ने आरोपी के प्रमाण पत्रों की जांच भी करवाई थी।

आरोपी शिक्षक को मिला सात साल का कठोर कारावास

आरोपी को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार की अदालत ने सात साल की सजा और 20 हजार का जुर्माना लगाया है। अभियोजन अधिकारी अजय सिंह रावत व सीमा रानी ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपी के खिलाफ थाना थत्यूड़ में वादी थत्यूड़ के स्थानीय यशवीर सिंह ने 15 अगस्त, 2018 को आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज करवाया। प्रमाण पत्र फर्जी पाये जाने के मामले में अभियोजन पक्ष में जांच में फर्जी पाये गये प्रमाण पत्रों के अलावा अन्य साक्ष्य भी न्यायालय को दिए। जिसके आधार पर आरोपी को सजा सुनाई गई है।