आज दुनिया भर में ‘डायबिटीज केयर तक पहुंच’ थीम के साथ मनाया जा रहा विश्व मधुमेह दिवस..



‘विश्व मधुमेह दिवस’ यानी ‘वर्ल्‍ड डायबिटीज डे’ प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है। यह विभिन्न सरकारी संस्थान, शैक्षणिक और पेशेवर संगठनों द्वारा मनाया जाता है। इस अवसर पर सरकार द्वारा सोशल मीडिया के जरिए मधुमेह के जोखिम कारकों, स्वस्थ जीवन शैली और शीघ्र पहचान की आवश्यकता के बारे में जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। आइए अब विस्तार से समझते हैं कि मधुमेह क्या है और इससे बचाव के लिए ‘विश्व मधुमेह दिवस’ की शुरुआत कब, कैसे और किसने की…?

मधुमेह क्या है?

मधुमेह एक क्रोनिक रोग है, जिसमें व्यक्ति की रक्त शर्करा उच्च यानि हाइपरग्लेसीमिया हो जाती है या शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता हैं या शरीर इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं करता है। इंसुलिन अग्न्याशय द्वारा उत्पादित हार्मोन है। यह ऊर्जा बनाने के लिए शरीर की कोशिकाओं द्वारा उपयोग किए जाने के लिए ग्लूकोज (कार्बोहाइड्रेट खाद्य पदार्थ को ग्लूकोज में विभाजित करता है) में मदद करता है। लंबी अवधि में हाइपरग्लेसेमिया शरीर की क्षति और विभिन्न अंगों एवं ऊतकों की विफलता के साथ जुड़ा है।

कैसे हुई ‘वर्ल्‍ड डायबिटीज डे’ की शुरुआत ?

विश्व में मधुमेह (डायबिटीज) के बढ़ते मामलों को देखते हुए वर्ल्‍ड डायबिटीज डे मनाने की पहल की गई थी। इसका मकसद लोगों में इस बीमारी के विभिन्न पहलुओं के प्रति जागरूकता को फैलाना है। इसलिए यह दिन वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में मधुमेह के बारे में जागरूकता बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।

कब हुई शुरुआत ?

यह दिवस मधुमेह से उपजे जोखिम के बारे में बढ़ती चिंताओं के प्रतिउत्तर में वर्ष 1991 में अंतर्राष्ट्रीय मधुमेह संघ (IDF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WDD) द्वारा बनाया गया था। एक सौ साठ से अधिक देशों में विश्व के सबसे बड़े मधुमेह जागरूकता अभियान के साथ विश्व मधुमेह दिवस वर्ष 2006 से संयुक्त राष्ट्र का आधिकारिक दिवस है।

क्या है इस साल की थीम ?

इस वर्ष की थीम ‘एक्सेस टू डायबिटीज एजुकेशन’ है। बता दें, डायबिटीज आज एक गंभीर समस्या बन चुकी है। डॉक्टरी भाषा में बात करें तो डायबिटीज को ‘साइलेंट किलर’ का खिताब मिला है। खराब जीवनशैली ने हर उम्र के लोगों को इसका शिकार बना दिया है। अगर आपको एक बार डायबिटीज हो गई तो जिंदगीभर के लिए यह आपको परेशान कर सकती है। सबसे बड़ी चिंता वाली बात यह है कि लोग इसके प्रति जागरूक नहीं है और लगातार ऐसी लाइफ स्टाइल को फॉलो कर रहे हैं, जो कई बीमारियों को न्योता दे रही हैं। ऐसे में डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।

कैसे होती है ये बीमारी ?

बताना चाहेंगे कि इंसुलन हार्मोन की वजह से हमारे शरीर में ब्लड शुगर नियंत्रण में रहता है, लेकिन जब शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है। ऐसे में लोग इस बीमारी के शिंकजे में आ जाते हैं।

तीन तरह का होता है डायबिटीज

डायबिटीज तीन प्रकार का होता है। एक टाइप 1 और दूसरा टाइप 2 और तीसरा गर्भकालीन मधुमेह। टाइप 1 डायबिटीज का प्रमुख लक्षण शरीर में इंसुलिन का बनना बंद हो जाना होता है। जबकि टाइप 2 की स्थिति में शरीर में इंसुलिन जरूरत के हिसाब से नहीं बन पाता। ऐसे में इसका इस्तेमाल ठीक ढंग से नहीं हो पाता। ध्यान रहे डायबिटीज मोटापा, खानपान और खराब लाइफस्टाइल की वजह से हो सकता है। इनके अलावा गर्भकालीन मधुमेह में गर्भावस्था में अस्थायी स्थिति होती है।

यह भी जानें

प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस सर फ्रेडरिक बैंटिंग के जन्मदिवस पर मनाया जाता है, जिन्होंने कनाडा के टोरंटो शहर में बेन्ट के साथ मिलकर सन 1921 में इन्सुलिन की खोज की थी। ग्रामीण आबादी में शहरी आबादी की तुलना में मधुमेह के रोगी कम मिलते हैं, क्योंकि वहां खान-पान का अंतर आ जाता है। इस बीमारी को रोकने के लिए न केवल जागरूकता बल्कि जीवनशैली में बदलाव भी अहम है। शहरों में अनियमित खान-पान और शारीरिक श्रम कम होने की वजह से मधुमेह के मरीज ज्यादा देखने को मिलते हैं। IDF यानी इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन हर साल ‘वर्ल्ड मधुमेह दिवस’ के लिए एक थीम चुनता है इस बार की थीम ‘डायबिटीज केयर तक पहुंच’ है।

क्या है डायबिटीज के लक्षण ?

• बार-बार पेशाब जाना

• अत्यधिक प्यास लगना

• वजन में कमी एवं धुंधली दृष्टि

किन्हें होता है डायबिटीज का ज्यादा खतरा ?

• भारी शरीर के लोगों को डायबिटीज का ज्यादा खतरा होता है

• हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देती है

• अगर कोलेस्ट्रॉल बढ़ गया है तो भी डायबिटीज का खतरा रहता है

• प्रेग्नेंसी के समय मां को डायबिटीज हो तो भविष्य में शिशु भी इसका शिकार हो सकता है

• 40 साल की उम्र से ज्यादा सभी लोगों को जिनकी लाइफस्टाइल अच्छी नहीं है, डायबिटीज का खतरा रहता है