कार्बी क्षेत्रों के विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये का पैकेज जारी, जानिये ऐतिहासिक कार्बी आंगलांग समझौता के बारे में

केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की उपस्थिति में ऐतिहासिक कार्बी आंगलांग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर छह कार्बी संगठनों के प्रतिनिधी भी मौजूद रहे। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कार्बी आंगलांग समझौता कार्बी क्षेत्र और असम के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। वहीं इस ऐतिहासिक समझौते के तहत, 1000 से अधिक सशस्त्र कैडर हिंसा का त्याग कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं।

विकास के लिए 1,000 करोड़ रुपये का पैकेज

दरअसल असम की क्षेत्रीय अखंडता को सुनिश्चित करने वाले दशकों पुराने संकट को समाप्त करने के लिए ऐतिहासिक कार्बी आंगलोंग समझौते हुआ है। कार्बी क्षेत्रों में विशेष विकास परियोजनाओं को शुरू करने के लिए केंद्र सरकार और असम सरकार द्वारा पांच वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये का एक विशेष विकास पैकेज दिया जाएगा।


पुरानी समस्याओं को समाप्त करने का लक्ष्य

गृह मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की नीति है कि जो हथियार छोड़कर आता है, उसके साथ और अधिक विनम्रता से बात करके और जो वो मांगते हैं, उससे अधिक देकर उन्हें विकास की मुख्यधारा में समाहित करते हैं। उन्होंने कहा कि इसी नीति के परिणामस्वरूप जो पुरानी समस्याएं विरासत में मिली थीं, उन्हें हम एक-एक करके समाप्त करते जा रहे हैं।

क्या है कर्बी जनजातीय

बता दें कि कार्बी एक प्रमुख जातीय समुदाय है, जो कई साल से असम में कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (KAAC) की मांग करता आ रहा है और अलग-अलग हिंसक घटनाओं में लिप्त थे।
कई गुटों में बिखरे असम के प्रमुख जातीय समुदाय कार्बी के विद्रोह का लंबा इतिहास रहा है, जो 1980 के दशक के उत्तरार्ध से हत्याओं, जातीय हिंसा, अपहरण और कराधान में शामिल रहा है। लगभग 200 कार्बी उग्रवादी उन 1,040 उग्रवादियों का हिस्सा हैं, जिन्होंने इस साल 25 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की उपस्थिति में गुवाहाटी के एक कार्यक्रम में औपचारिक रूप से हथियार डाल दिए थे।
आत्मसमर्पण करने वाले उग्रवादियों में इंग्ती कथार सोंगबिजित भी शामिल था, जो राज्य में उग्रवाद और जातीय हिंसा के कई मामलों में शामिल रहा है। इन उग्रवादियों ने कुल 338 हथियार जमा किए, जिनमें 11,203 गोलियों के साथ 8 लाइट मशीनगन, 11 एम-16 राइफल और 58 एके-47 राइफल भी थी। पांचों संगठनों के उग्रवादी एक साल बाद तब अपने हथियार के साथ आत्मसमर्पण करने आए थे जब भाजपा ने बोडोलैंड में लंबे समय से चल रही हिंसा को समाप्त करने के लिए बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

समझौते की मुख्य विशेषताएं-

यह समझौता असम की क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता को प्रभावित किए बिना, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद को और अधिक स्वायत्तता का हस्तांतरण, कार्बी लोगों की पहचान, भाषा, संस्कृति आदि की सुरक्षा और परिषद क्षेत्र में सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करेगा।

समझौते के तहत, पहाड़ी जनजाति के लोग भारतीय संविधान की अनुसूची 6 के तहत आरक्षण के हकदार होंगे। कार्बी सशस्त्र समूह हिंसा को त्याग ने और देश के कानून द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने के लिए सहमत हुए हैं। समझौते में सशस्त्र समूहों के कैडरों के पुनर्वास का भी प्रावधान है। असम सरकार कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद क्षेत्र से बाहर रहने वाले कार्बी लोगों के विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक कार्बी कल्याण परिषद की स्थापना करेगी।
कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद के संसाधनों की पूर्ति के लिए राज्य की संचित निधि को बढ़ाया जाएगा। वर्तमान समझौते में कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद को समग्र रूप से और अधिक विधायी, कार्यकारी, प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियां देने का प्रस्ताव है।